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बर्ड फ्लू के खतरे से सहमा दून, अंडों की खपत और आपूर्ति दोनों में आई भारी गिरावट

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 22 अग॰

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देहरादून: उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद देहरादून में चिकन और अंडों की खपत में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है। लोगों में संक्रमण फैलने के डर के कारण मांसाहारी उत्पादों की खरीदारी में झिझक बढ़ गई है। इसका सीधा असर स्थानीय अंडा व्यापार पर पड़ा है, जो अब लगभग आधा रह गया है।


अंडा व्यापारी संजय चौहान के अनुसार, देहरादून में पहले जहां रोजाना 8,000 से 10,000 ट्रे अंडों की आवक होती थी, अब वह घटकर 4,000 से 5,000 ट्रे प्रतिदिन रह गई है। उन्होंने बताया कि “लोगों की मांग में भारी कमी आई है, लेकिन साथ ही आवक भी कम हो गई है, जिससे बाजार में अंडों की कीमत स्थिर बनी हुई है।”


बाजार में गिरावट, लेकिन कीमतें स्थिर

हालांकि मांग कम होने के बावजूद अंडों की कीमतों में फिलहाल स्थानीय बाजार में कोई खास बदलाव नहीं आया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बाहरी राज्यों से अंडों की आपूर्ति पर लगी कुछ पाबंदियों की वजह से कुल आवक भी घट गई है। इस वजह से मांग और आपूर्ति का संतुलन बना हुआ है।


हालांकि, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अंडों के दामों में थोड़ी वृद्धि देखी जा रही है, जो होम डिलीवरी सेवाओं और डिमांड-चेन पर निर्भरता के कारण हो सकता है।


बाहरी राज्यों पर निर्भर दून की सप्लाई चेन

देहरादून की अंडा और पोल्ट्री उत्पाद आपूर्ति मुख्य रूप से बाहरी राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा, से होती है। चूंकि बर्ड फ्लू की पुष्टि यूपी में हुई है, इसलिए यहां की चिकन और अंडा सप्लाई पर तुरंत असर पड़ा है। आम उपभोक्ता संक्रमण के डर से इन उत्पादों को खरीदने से बच रहे हैं, जिससे खुदरा व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।


व्यापारियों की चिंता, उपभोक्ताओं में डर

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो यह छोटे कारोबारियों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन सकता है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से फिलहाल देहरादून में किसी भी प्रकार की बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी लोगों में डर का माहौल बना हुआ है।


बर्ड फ्लू के खतरे ने देहरादून में पोल्ट्री कारोबार की रफ्तार को धीमा कर दिया है। अंडा और चिकन व्यापार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विशेषज्ञों का

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