चमोली में 17,000 फीट ऊंचाई पर BRO का कमाल, सुमना से टोपीडुंगा तक सड़क निर्माण पूरा
- ANH News
- 7 दिन पहले
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उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के पास कई बार चीनी सैनिकों की घुसपैठ की खबरें सामने आती रही हैं। इन घटनाओं पर भारत ने हमेशा कड़ा रुख अपनाया है और अपनी आपत्ति स्पष्ट रूप से दर्ज कराई है। सीमा पर लगातार बनी रहने वाली इस संवेदनशील स्थिति को देखते हुए भारत सरकार सीमांत क्षेत्रों को मजबूत आधारभूत संरचना से जोड़ने में जुटी है। इसी दिशा में सीमांत इलाकों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है ताकि सेना की आवाजाही सुचारू हो सके और स्थानीय नागरिकों को भी सुविधाएं मिलें।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का उद्देश्य भी इन्हीं सीमांत गांवों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत उन गांवों तक बिजली, पानी, सड़क और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं, जिन्हें अब तक विकास की मुख्यधारा से दूर माना जाता था। सरकार का मकसद इन इलाकों में रहने वाले देश के “प्रथम प्रहरी” यानी सीमांत नागरिकों को बेहतर जीवन सुविधाएं उपलब्ध कराना है, ताकि वे पलायन न करें और सीमाओं की मानवीय चौकसी बनी रहे।
इसी कड़ी में सीमा सड़क संगठन (BRO) सीमाओं तक सड़क नेटवर्क को विस्तार देने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। बीआरओ के प्रोजेक्ट शिवालिक के तहत हाल ही में लगभग 70 किलोमीटर लंबी सुमना–लाप्थल–टोपीडुंगा सड़क का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। यह सड़क 17,000 फीट की दुर्गम ऊँचाई पर बनाई गई है, जो तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रोजेक्ट के कमांडेंट कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि इस सड़क का निर्माण अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में किया गया है—जहाँ मौसम लगातार प्रतिकूल रहता है, तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है और बर्फबारी हर समय सड़क निर्माण में बाधा बनती है। इसके बावजूद बीआरओ की टीम ने हार नहीं मानी और लगातार चार वर्षों की अथक मेहनत के बाद इस सड़क को पूरा किया। अब जल्द ही इसका डामरीकरण कार्य शुरू किया जाएगा, जिसके बाद यहाँ वाहनों की नियमित आवाजाही संभव हो सकेगी।
कर्नल महाजन के अनुसार, यह परियोजना न केवल सैन्य दृष्टि से रणनीतिक महत्व रखती है, बल्कि इससे सीमांत गांवों को भी नई जीवनरेखा मिलेगी। सड़क तैयार होने के बाद सैनिकों और उनके वाहनों को अग्रिम चौकियों तक पहुँचने में अब पहले की तुलना में कहीं अधिक आसानी होगी। इससे आपूर्ति श्रृंखला, संचार व्यवस्था और आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आएगा।
गौरतलब है कि अब तक चीन सीमा के निकट स्थित सुमना सीमा चौकी तक केवल एक संकरी और कठिन मार्ग था, जहाँ तक पहुँचने में सेना के जवानों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए यहाँ सड़क निर्माण की योजना शुरू की गई थी, जिसका कार्य वर्ष 2020 में आरंभ हुआ। अब यह सड़क पूरी तरह कटिंग के स्तर तक बन चुकी है और वर्ष 2026 की शुरुआत तक इसे चीन सीमा तक विस्तार देने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है।
केवल चमोली ही नहीं, बल्कि पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्रों में भी सड़क निर्माण का कार्य लगातार जारी है। बीआरओ की टीमें हर मौसम में, चाहे बर्फबारी हो या कड़कड़ाती ठंड, सड़क निर्माण में जुटी रहती हैं। ऊँचे पहाड़, ग्लेशियरों की कठिन भौगोलिक स्थिति और ऑक्सीजन की कमी जैसी बाधाएँ भी इन जवानों के हौसले को कम नहीं कर पातीं।
यह परियोजनाएँ न केवल देश की सीमा सुरक्षा को मजबूत बना रही हैं, बल्कि इन इलाकों के सामाजिक और आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त कर रही हैं। सीमांत क्षेत्रों तक सड़कों का पहुँचना केवल रणनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि उस भारत की झलक है जो अपने अंतिम छोर तक विकास और सुरक्षा दोनों का संतुलन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।





