चारधाम समेत प्रमुख धार्मिक यात्राओं के संचालन के लिए परिषद को कैबिनेट की मंजूरी
- ANH News
- 5 घंटे पहले
- 2 मिनट पठन

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में धार्मिक यात्राओं और बड़े मेलों के व्यवस्थित संचालन, नियंत्रण और मूलभूत सुविधाओं के विकास के उद्देश्य से ‘उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद’ के गठन को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय राज्य की तीर्थाटन परंपरा को संरक्षित करने और तीर्थ यात्रियों को अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक एवं सुव्यवस्थित अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
किन यात्राओं का होगा संचालन:
इस परिषद के माध्यम से निम्न प्रमुख धार्मिक यात्राओं और कार्यक्रमों का संचालन, समन्वय और प्रबंधन किया जाएगा:
चारधाम यात्रा
आदि कैलाश यात्रा
पूर्णागिरी मेला
नंदा देवी राजजात यात्रा
तथा अन्य क्षेत्रीय धार्मिक आयोजन
बढ़ती श्रद्धालु संख्या के पीछे कारण:
उत्तराखंड में बीते वर्षों में सड़क नेटवर्क, हवाई संपर्क और परिवहन सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके चलते धार्मिक स्थलों तक पहुँच अब पहले से कहीं अधिक सुगम हो गई है। नतीजतन, श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही है। इन बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, व्यवस्थित प्रबंधन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
परिषद की संरचना और कार्यप्रणाली:
परिषद का गठन तीन स्तरों पर किया जाएगा:
राज्य स्तरीय परिषद (नीति निर्धारण):
अध्यक्ष: मुख्यमंत्री
कार्य: नीति निर्धारण, दीर्घकालिक योजना, बजटीय दिशा-निर्देश
राज्य स्तरीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन समिति:
अध्यक्ष: मुख्य सचिव
कार्य: कार्यान्वयन की निगरानी, मूल्यांकन एवं मार्गदर्शन
मंडल स्तरीय क्रियान्वयन परिषदें:
अध्यक्ष: गढ़वाल और कुमाऊं के मंडलायुक्त
कार्य: यात्रा व मेला संचालन की ज़मीनी स्तर पर योजना, क्रियान्वयन और समन्वय
दोनों मंडलायुक्त अपने-अपने मंडलों के लिए परिषद के सीईओ की भूमिका निभाएंगे
वित्तीय प्रावधान:
सरकार परिषद को अलग से विशेष बजट उपलब्ध कराएगी, जिससे यात्रा मार्गों की अवस्थापना, श्रद्धालुओं की सुविधाएं, रखरखाव और आपदा प्रबंधन जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।
गठन प्रक्रिया:
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने परिषद के गठन का मसौदा (ड्राफ्ट) तैयार किया था। अब इस पर कैबिनेट की औपचारिक स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है।
उत्तराखंड की धार्मिक पहचान को सशक्त करने और तीर्थाटन को सुव्यवस्थित करने की दिशा में यह निर्णय एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद न केवल धार्मिक आयोजनों की गुणवत्ता और प्रबंधन को बेहतर बनाएगी, बल्कि राज्य के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी सहायक होगी।