70 से अधिक की उम्र वाले पूर्व सैनिकों को दवा की होम डिलीवरी, देहरादून में खुलेगा हाई-टेक वेलनेस सेंटर
- ANH News
- 13 अक्टू॰
- 2 मिनट पठन

उत्तराखंड: सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए एक सराहनीय और मानवीय पहल की घोषणा की है, जो उनके प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता और संवेदनशीलता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि अब 70 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व सैनिकों को आवश्यक दवाइयों की होम डिलीवरी की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें चिकित्सा सेवाओं के लिए बार-बार अस्पतालों या वेलनेस सेंटरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। यह सुविधा ‘एक्स-सर्विसमैन वेलफेयर स्कीम’ के अंतर्गत अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) के जरिए दी जाएगी।
जनरल चौहान ने कहा कि यह पहल उन पूर्व सैनिकों के जीवन को सुगम और सम्मानजनक बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है, जिन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा देश की सेवा में समर्पित किया। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में यह सुविधा उन्हें न केवल राहत देगी, बल्कि उनके प्रति राष्ट्र की जिम्मेदारी को भी दर्शाएगी।
इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि देहरादून में जल्द ही एक अत्याधुनिक हाई-टेक वेलनेस सेंटर की स्थापना की जाएगी। यह वेलनेस सेंटर पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। इससे न केवल उनके उपचार की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि इलाज की प्रक्रिया भी अधिक सुलभ और सशक्त बन सकेगी।
इसके साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में भी पूर्व सैनिकों और स्थानीय नागरिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। जनरल चौहान ने बताया कि सेना द्वारा संचालित को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में आवश्यक खाद्य सामग्री और जरूरत की वस्तुएं एकत्र कर वितरित की जा रही हैं। यह पहल सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है, जिससे उन्हें भी मुख्यधारा की सुविधाएं मिल सकें।
पूर्व सैनिकों की गरिमा और सेवा को सम्मान देने के लिए यह सभी घोषणाएं सरकार और सशस्त्र बलों के उस संकल्प को दोहराती हैं, जिसमें कहा गया है कि "जो देश की रक्षा के लिए खड़े रहे, उनके लिए देश हमेशा खड़ा रहेगा।"
सीडीएस की यह घोषणाएं न केवल स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में एक बड़ी पहल हैं, बल्कि यह एक भरोसा भी हैं—कि देश अपने सच्चे रक्षकों को कभी नहीं भूलता।





