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CDS ने दी चेतावनी, उत्तराखंड में चीन और नेपाल सीमा पर चौकस रहने की जरुरत

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 13 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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देहरादून: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने उत्तराखंड की सामरिक स्थिति और सीमाओं की संवेदनशीलता को लेकर एक बेहद अहम संदेश दिया है। देहरादून में आयोजित ‘देवभूमि मेगा पूर्व सैनिक रैली’ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि चीन और नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड जैसे राज्य को लेकर हमें लगातार चौकस और सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उत्तराखंड न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी एक फ्रंटलाइन स्टेट है, जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।


सीडीएस ने जानकारी दी कि उत्तराखंड की लगभग 350 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से और 275 किलोमीटर लंबी सीमा नेपाल से लगती है। भले ही वर्तमान में सीमावर्ती क्षेत्र शांत और सुरक्षित प्रतीत होते हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि समय-समय पर इन सीमाओं को लेकर मतभेद सामने आते रहते हैं। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक है कि न केवल सेना, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक भी सजग और सतर्क रहें।


जनरल चौहान ने अपने संबोधन में एक भावनात्मक और प्रेरणादायक पंक्ति भी कही – ‘उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जिस मुल्क की सरहद की निगेहबान हैं आंखें।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि ये 'आंखें' कोई और नहीं, बल्कि सीमाओं पर तैनात हमारे सैनिक और वहां निवास करने वाले लोग—खासकर पूर्व सैनिक—हैं, जो देश की सुरक्षा में मूक लेकिन प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं।


सीडीएस ने उत्तराखंड के लोगों के बलिदान और देशभक्ति की परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि यह राज्य केवल देवभूमि ही नहीं, बल्कि वीर भूमि भी है। उन्होंने इतिहास के पन्नों की ओर इशारा करते हुए बताया कि यहां के लोगों ने प्राचीन काल से लेकर अब तक, चाहे वह ऋषि-मुनियों की रक्षा की बात हो या विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध युद्ध, हमेशा देश के लिए समर्पण और साहस का परिचय दिया है। यही परंपरा आज भी सीमाओं पर नजर आ रही है, जब उत्तराखंड के युवा बड़ी संख्या में सेना में शामिल होकर मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं।


रैली के दौरान सीडीएस ने वीर नारियों और दिव्यांग पूर्व सैनिकों को सम्मानित कर उनके बलिदान और सेवा को नमन किया। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि देश अपने रक्षकों को कभी नहीं भूलता और उनकी भूमिका सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ समाज को प्रेरित करने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।


इस पूरे कार्यक्रम के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान का संदेश स्पष्ट था—उत्तराखंड की सीमाएं केवल भौगोलिक सीमाएं नहीं हैं, बल्कि वे देश की सुरक्षा की पहली पंक्ति हैं। हमें इन्हें लेकर गंभीर रहना होगा, जागरूक रहना होगा और इनकी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना होगा।

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