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Chamoli: माणा हिमस्खलन में 46 श्रमिकों को बचाया, 8 की मौत, पूरा हुआ रेस्क्यू अभियान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 मार्च
  • 2 मिनट पठन



उत्तराखंड के चीन सीमा से सटे माणा क्षेत्र में शुक्रवार तड़के हुए भारी हिमस्खलन में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) के 54 श्रमिक फंस गए थे। आईटीबीपी और सेना की संयुक्त टीमों ने तत्परता से रेस्क्यू अभियान चलाया, जिसमें 46 श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि आठ की मौत हो गई। रविवार को अंतिम चार लापता श्रमिकों के शव बरामद होने के साथ ही तीन दिनों से चल रहा बचाव अभियान समाप्त हो गया।


तीन दिनों तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन


शुक्रवार सुबह हिमस्खलन के तुरंत बाद सेना और आईटीबीपी ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया। पहले ही दिन 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया था। शनिवार को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) भी इस अभियान में शामिल हुआ, और 13 और श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया। इसी दौरान चार श्रमिकों के शव भी बरामद किए गए थे।


रविवार को लापता श्रमिकों की तलाश जारी रही, जिसके तहत दोपहर 1 बजे एक शव मिला, फिर कुछ देर बाद दो और शव बरामद हुए। आखिरकार, दोपहर 4 बजे अंतिम लापता श्रमिक का शव भी खोज लिया गया। इसके साथ ही हादसे में मरने वालों की संख्या आठ हो गई और रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया।


घायलों का इलाज जारी


सभी श्रमिकों को हेलीकॉप्टर से ज्योतिर्मठ स्थित सेना के अस्पताल में लाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। गंभीर रूप से घायल दो श्रमिकों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है। बचाव अभियान में सेना के सात हेलीकॉप्टर और एक निजी हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया।


मृतकों की पहचान


1. अनिल कुमार (21), पुत्र ईश्वरी दत्त, रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड



2. अशोक (28), पुत्र रामपाल, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश



3. हरमेश (31), पुत्र ज्ञानचंद्र, ऊना, हिमाचल प्रदेश



4. मोहिंदर पाल (42), पुत्र देशराज, हिमाचल प्रदेश



5. आलोक यादव, निवासी कानपुर, उत्तर प्रदेश



6. मंजीत यादव, पुत्र शंभू, सरवान, उत्तर प्रदेश



7. जितेंद्र सिंह (26), पुत्र कुलवंत सिंह, बिलासपुर, उत्तर प्रदेश



8. अरविंद कुमार सिंह (43), पुत्र देवेंद्र कुमार, देहरादून, उत्तराखंड



बचाव दलों का सराहनीय प्रयास


आईटीबीपी, सेना और एनडीआरएफ की संयुक्त टीमों ने विषम परिस्थितियों में भी तत्परता से राहत कार्य किया, जिससे 46 श्रमिकों की जान बचाई जा सकी। इस आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में निर्माण कार्यों के दौरान होने वाले खतरों को उजागर किया है, जिससे भविष्य में सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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