थराली में भूस्खलन की मार, दरारों से कांपा पहाड़, मलबे से कई घरों पर संकट
- ANH News
- 27 अग॰
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अपडेट करने की तारीख: 28 अग॰

थराली (चमोली), 22 अगस्त- बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश ने थराली कस्बे को भयंकर आपदा की चपेट में ला दिया है। शनिवार रात हुई भारी बारिश के कारण क्षेत्र में भीषण भूस्खलन हुआ, जिससे पूरा इलाका आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील हो गया है। कस्बे की सड़कों और पहाड़ियों पर गहरी दरारें उभर आई हैं, जिनसे स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एक तकनीकी सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है ताकि खतरे की सटीक जानकारी मिल सके और आगे की रणनीति बनाई जा सके।
सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र:
भूस्खलन से कोटडीप, लोअर बाजार, राड़ीबगड़ और चेपड़ों क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। पहाड़ियों से आए भारी मलबे ने कई मकानों को पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है। राड़ीबगड़ और कोटडीप की पहाड़ियों पर बड़ी-बड़ी दरारें दिखाई दे रही हैं, जिनके किनारे विशाल चट्टानें खतरनाक ढंग से अटकी हुई हैं।
प्रभाव की भयावहता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि थराली का अस्पताल, तहसील कार्यालय, और एसडीएम आवास भी इस आपदा से अछूते नहीं रहे। जल संस्थान और सिंचाई विभाग के कार्यालय मलबे से भर गए हैं, जिससे सामान्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अपर बाजार और आसपास के गांवों में भी ज़मीन में दरारें देखी गई हैं, जबकि चेपड़ों बाजार तो मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है।
प्रशासन ने उठाए कदम, संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण की तैयारी:
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए प्रशासन ने सिंचाई विभाग, भूवैज्ञानिकों, पीएमजीएसवाई और लोक निर्माण विभाग की एक संयुक्त तकनीकी टीम गठित करने का निर्णय लिया है। यह टीम क्षेत्र का गहन निरीक्षण कर दरारों और चट्टानों की स्थिति का वैज्ञानिक विश्लेषण करेगी ताकि आगे की कार्ययोजना तय की जा सके।
राहत एवं बचाव कार्य जारी, लापता बुजुर्ग की तलाश में चौथा दिन:
चेपड़ों क्षेत्र में आपदा के दौरान लापता हुए बुजुर्ग गंगा दत्त की तलाश अभी भी जारी है। प्रशासन और राहत दलों द्वारा लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाकर रास्तों और मकानों को साफ किया जा रहा है।
संगठनों ने बढ़ाया मदद का हाथ, राहत सामग्री का वितरण:
विभिन्न सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों ने आपदा प्रभावित परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अर्णिमा सोसाइटी के सदस्यों ने थराली, चेपड़ों और कुलसारी क्षेत्रों में 343 परिवारों को राहत किट, डेंटल किट और महिला किट वितरित कीं। इन किटों में दैनिक आवश्यकता की सामग्री जैसे ब्रश, कोलगेट, साबुन, तेल, बैंडेज और सैनिटरी पैड आदि शामिल थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने थराली, राड़ीबगड़ और चेपड़ों के 120 परिवारों को राशन किट, कंबल, और बर्तन वितरित किए।
एसजीआरआर मिशन द्वारा भेजी गई सामग्री को विधायक भूपाल राम टम्टा और कर्णप्रयाग के प्रधानाचार्य बीबी डोभाल ने स्वयं प्रभावितों को वितरित किया।
वरिष्ठ अधिकारियों ने किया स्थलीय निरीक्षण:
जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने थराली क्षेत्र में भूस्खलन से प्रभावित इलाकों का दौरा कर मौके की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने क्षतिग्रस्त मकानों और दरारों का निरीक्षण किया तथा तहसील प्रशासन को विस्तृत क्षति रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान स्थानीय नागरिकों ने बिजली और जल आपूर्ति की समस्याएं रखीं। इस पर जिलाधिकारी ने तत्काल जल संस्थान और ऊर्जा निगम को आवश्यक मरम्मत और आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, पहाड़ियों पर लटकी चट्टानों को देखते हुए उन्होंने निचले क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों से राहत शिविरों में स्थानांतरित होने की अपील की।
देवाल के मालगाड़ गांव में भूस्खलन से 10 परिवारों पर संकट:
देवाल विकासखंड के पूर्णा ग्राम पंचायत अंतर्गत मालगाड़ गांव में लगातार भू-कटाव के चलते 10 मकानों को खतरा उत्पन्न हो गया है। गांव के पूर्व प्रधान मनोज राम ने प्रशासन से प्रभावित परिवारों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की मांग की है।
ज्यूड़ा गांव में बिजली बहाल, पेयजल संकट अब भी जारी:
नारायणबगड़ ब्लॉक के ज्यूड़ा गांव में ऊर्जा निगम ने अस्थाई रूप से क्षतिग्रस्त बिजली लाइनों को दुरुस्त कर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है। हालांकि गांव में पेयजल व्यवस्था अब भी बाधित है। ग्रामीणों के अनुसार, जल संस्थान को सूचना देने के बावजूद अभी तक मरम्मत कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। बलवंत सिंह रौंतेला नामक स्थानीय नागरिक ने पेयजल संकट के शीघ्र समाधान की मांग की है।
थराली क्षेत्र इस समय एक भीषण प्राकृतिक आपदा के दौर से गुजर रहा है। जहां एक ओर प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन मिलकर राहत व बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर तकनीकी सर्वेक्षण की आवश्यकता इस बात को रेखांकित करती है कि यह संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में सतर्कता, सहयोग और वैज्ञानिक आकलन ही इस आपदा से निपटने की कुंजी साबित होंगे।





