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देशभर में चंद्रग्रहण 7 सितंबर को, सूतक कब और क्या करें-ना करें?

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 28 अग॰

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भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि इस बार विशेष संयोग लेकर आ रही है। 7 सितंबर, 2025 को चंद्रग्रहण लगेगा और इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी होगी। यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय रूप से भी इसका विशेष महत्व माना जाता है।


ग्रहण का समय और दृश्यता:

ग्रहण आरंभ: 7 सितंबर को रात 9:58 बजे (IST)

ग्रहण समाप्त: 8 सितंबर को रात 1:26 बजे (IST)


ग्रहण का मध्यकाल (पीक टाइम): रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक:

इस दौरान चंद्रमा एक विशिष्ट गहरा लाल रंग ले लेगा, जिसे आम बोलचाल में 'ब्लड मून' भी कहा जाता है। यह नज़ारा आकाश में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा।


यह चंद्रग्रहण भारत सहित दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ, बेंगलुरु, गोवा जैसे प्रमुख शहरों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।


सूतक काल और धार्मिक मान्यताएं:

शास्त्रों के अनुसार, जिस स्थान से ग्रहण दिखाई देता है, वहां उसका सूतक काल भी मान्य होता है। चंद्रग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व आरंभ हो जाता है।


सूतक प्रारंभ: 7 सितंबर को दोपहर 12:56 बजे

इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन पकाना, भोजन करना, और मंदिर दर्शन आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं।

कई प्रमुख मंदिरों में इस दौरान कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

विशेष रूप से भगवान वेंकटेश्वर के तिरुमाला मंदिर में यह परंपरा निभाई जाएगी।

मंदिर के कपाट 7 सितंबर को दोपहर 12:56 बजे बंद कर दिए जाएंगे।

8 सितंबर को तड़के 3:00 बजे, शुद्धिकरण और अनुष्ठान के बाद पुनः मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोले जाएंगे।


ज्योतिषीय मान्यता:

चंद्रग्रहण का संबंध राहु ग्रह से माना गया है। मान्यता है कि राहु, चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हुए पूर्णिमा की रात उसे ग्रसने का प्रयास करता है, जिससे चंद्रग्रहण उत्पन्न होता है।


ग्रहण के बाद दान का महत्व:

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और दान की परंपरा निभाई जाती है।

चंद्रग्रहण के बाद निम्न वस्तुओं का दान विशेष रूप से शुभ और पुण्यदायी माना जाता है:


चावल

दूध

सफेद वस्त्र

चीनी

सफेद मिठाइयां


यह दान पूर्वजों की शांति, कष्टों की शांति, और सौभाग्य के लिए किया जाता है।

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