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मुख्यमंत्री धामी ने किया 'सरस आजीविका मेला' का उद्घाटन, महिलाओं को बांटे प्रोत्साहन चेक

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 8 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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ऋषिकेश: टिहरी गढ़वाल जिले के मुनि की रेती ढालवाला स्थित पूर्णानंद खेल मैदान में आयोजित दस दिवसीय सरस आजीविका मेला 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। यह मेला कला, संस्कृति और व्यापार का एक अद्भुत संगम है, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी, वन मंत्री सुबोध उनियाल और धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार के साथ संयुक्त रूप से उद्घाटित किया।


मुख्यमंत्री ने उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह मेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'लोकल फॉर वोकल' अभियान को आगे बढ़ाने का उत्कृष्ट माध्यम बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह मंच स्वदेशी उत्पादों को नई पहचान दिलाने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को भी सशक्त रूप से आगे बढ़ा रहा है।


मेले में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों से आई स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्र के पारंपरिक पहाड़ी उत्पादों और कलाकृतियों के स्टॉल लगाए। इन स्टॉल्स पर स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधान, जैविक उत्पाद और पहाड़ी व्यंजन दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बने रहे।


मुख्यमंत्री धामी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत करीब 1.20 करोड़ रुपये की लागत से संचालित 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। साथ ही करीब एक करोड़ रुपये की लागत से 10 संकुल स्तरीय संघों (CLF) की योजनाओं का शुभारंभ करते हुए जौनपुर, थौलधार, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, जाखणीधार, भिलंगना, प्रतापनगर, चंबा और नरेंद्रनगर ब्लॉकों की महिला स्वयं सहायता समूहों को चेक वितरित किए।

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इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने टिहरी जनपद के 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु ‘राइजिंग टिहरी’ नामक ऑनलाइन कोचिंग क्लास का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि यह पहल निश्चित ही ग्रामीण क्षेत्र के मेधावी विद्यार्थियों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी और उनके उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बनेगी।


मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाएं अपने परिश्रम और प्रतिभा से आज ऐसे स्वदेशी उत्पाद तैयार कर रही हैं, जो गुणवत्ता और उपयोगिता में अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को भी टक्कर दे रहे हैं। राज्य सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने हेतु मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत अब तक तीन लाख से अधिक महिलाओं के कौशल और क्षमता विकास का कार्य कर चुकी है।


उन्होंने बताया कि राज्य में 534 कलस्टर का गठन किया गया है और 500 फार्म मशीनरी बैंक महिलाओं को उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उन्हें आधुनिक कृषि से जोड़ा जा रहा है।


अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुछ कठोर और ऐतिहासिक निर्णयों का भी उल्लेख किया, जिसमें समान नागरिक संहिता (UCC) और संशोधित भू-कानून शामिल हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इस दिशा में प्रदेश में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बीते चार वर्षों में 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है।


मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि 1 जुलाई 2026 के बाद उत्तराखंड में केवल वही मदरसे संचालित होंगे, जिनमें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, जिससे समान शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।


इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के समग्र विकास हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है, जबकि वन मंत्री सुबोध उनियाल ने राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की आत्मनिर्भरता को अत्यंत आवश्यक बताया।


मेले का समापन देर शाम एक भव्य सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ, जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक पांडवाज ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी लोकधुनों पर दर्शक झूम उठे और संपूर्ण वातावरण उत्सवमय हो गया।


सरस आजीविका मेला 2025 न केवल राज्य की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और प्रदर्शित करने का माध्यम बना, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने की दिशा में एक प्रभावशाली पहल साबित हुआ।

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