कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद दवा बाजार में हड़कंप, एफडीए की टीमों ने कसी नकेल
- ANH News
- 6 अक्टू॰
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उत्तराखंड समेत देश के कुछ हिस्सों में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामलों के बाद बच्चों की सेहत को लेकर स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। बच्चों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली कफ सिरप को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी चेतावनी के बाद राज्य में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की टीमें सक्रिय हो गई हैं। राज्यभर के मेडिकल स्टोर और अस्पतालों में दवाओं की जांच और सैंपलिंग का काम तेज कर दिया गया है।
देहरादून समेत विभिन्न जिलों में एफडीए की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई के दौरान मेडिकल स्टोरों से प्रतिबंधित कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं। जग्गी ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी स्टोर या कंपनी के पास प्रतिबंधित सिरप पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
केंद्र सरकार की ओर से दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप न देने की सख्त गाइडलाइन जारी की गई है। वहीं, चार साल से कम उम्र के बच्चों को भी यह दवा देते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। सरकार द्वारा जिन कफ सिरप पर रोक लगाई गई है, उनमें डेक्सट्रोमेथोर्फन, फिनाइलफ्राइन, हाइड्रोक्लोराइड और इनके संयोजन शामिल हैं। इन तत्वों से बनी दवाओं को अब छोटे बच्चों के लिए बेहद खतरनाक माना जा रहा है।
दरअसल आमतौर पर सर्दी-जुकाम और खांसी में बिना डॉक्टर की सलाह के भी कफ सिरप दे देना आम चलन में रहा है, लेकिन अब विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विभाग ने इस आदत को बेहद खतरनाक बताते हुए इससे परहेज करने की सख्त सलाह दी है। शनिवार को जब यह मामला मीडिया में उछला, तो माता-पिता और अभिभावकों में घबराहट फैल गई। कई लोग बच्चों के इलाज को लेकर डॉक्टरों से परामर्श लेने अस्पताल पहुंचे।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने भी राज्य के सभी चिकित्सकों से अपील की है कि वे केंद्र सरकार की एडवाइजरी का पालन करते हुए प्रतिबंधित कफ सिरप को बच्चों के लिए न लिखें। उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर ऐसी दवाएं लिखते हैं, तो मेडिकल स्टोर उन्हें बेचने के लिए बाध्य होंगे। इसलिए डॉक्टरों को भी जिम्मेदारी दिखाते हुए इस दिशा में सतर्कता बरतनी होगी।
इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे खुद से मेडिकल स्टोर जाकर बच्चों के लिए दवाएं न खरीदें, बल्कि योग्य डॉक्टर की सलाह पर ही उपचार करें। विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों, मेडिकल स्टोरों और फार्मेसियों पर सघन जांच अभियान चलाया जाए और प्रतिबंधित दवाओं की उपलब्धता को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
इस पूरी कवायद का उद्देश्य बच्चों को असुरक्षित दवाओं से बचाना और दवा वितरण प्रणाली में सुधार लाना है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।





