कब है धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज? जानें पूरा कैलेंडर
- ANH News
- 14 अक्टू॰
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हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व माना गया है। यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है, और इसी मास में आता है दीपों का महापर्व दीपावली, जिसे पंचपर्व के रूप में भी जाना जाता है। सालभर श्रद्धालु इस पर्व का इंतजार करते हैं, क्योंकि यह केवल रोशनी और उल्लास का पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति, पूजा-पाठ, व्रत और आत्मिक शुद्धि का अवसर होता है।
दीपावली का यह पर्व केवल एक दिन का नहीं होता, बल्कि पांच दिनों तक चलने वाला एक दिव्य उत्सव है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। हर दिन की अपनी धार्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्ता है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2025 में ये पांचों पर्व कब मनाए जाएंगे और इनके पीछे क्या मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
सबसे पहले आता है धनतेरस, जिससे दीपावली के पावन पंचपर्व की शुरुआत होती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है और इसी दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। इस दिन भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, आरोग्यता और शुभता का वास हो। यही कारण है कि इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी, वाहन या घर की खरीदारी को बहुत शुभ माना जाता है। इस वर्ष धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:16 से 08:20 बजे तक रहेगा।

धनतेरस के अगले दिन आता है नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 19 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और 16,000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। उत्तर भारत में इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि मां अंजना के गर्भ से हनुमान जी का जन्म इसी दिन अर्धरात्रि को हुआ था। इस दिन प्रातः स्नान कर शरीर पर उबटन लगाया जाता है और मुख्य द्वार पर चौमुखा दीया जलाकर यमराज का पूजन किया जाता है, जिससे नरक दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों की विशेष पूजा करके उन्हें स्मरण किया जाता है।
इसके बाद आता है दीपों का मुख्य पर्व दीपावली, जिसे 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है और इस दिन घर-घर दीप जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देव और मां काली की भी पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है और इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 07:08 से 08:18 बजे तक रहेगा। लोग इस दिन घर की साफ-सफाई करके उसे दीपों, फूलों, रंगोली और सजावट से सजाते हैं और आतिशबाज़ी करके उत्सव का आनंद लेते हैं।
दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। यह पर्व 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने की कथा को स्मरण किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। मंदिरों में अन्नकूट के विशाल भोग सजाए जाते हैं और भगवान को विविध प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। पूजा के लिए शुभ समय सुबह 06:26 से 08:42 तक और दोपहर 03:29 से 05:44 तक निर्धारित किया गया है।
अंत में आता है भाई दूज, जो भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के संकल्प का पर्व है। यह पर्व 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करके उसकी दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है और उपहार भेंट करता है। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:13 से 03:28 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार दीपावली का यह पंचपर्व केवल रोशनी और उत्सव का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, पारिवारिक संबंधों की मजबूती, प्रकृति के प्रति श्रद्धा और समाज में प्रेम व सौहार्द का संदेश देने वाला पर्व है। यह हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर और बाहरी चमक से आंतरिक उजास की ओर ले जाने का संदेश देता है।





