Dehradun: डॉ अमित निकला बांग्लादेशी, पुलिस ने किया गिरफ्तार, फर्जी आधार-पैन कार्ड बरामद
- ANH News
- 1 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 2 सित॰

देहरादून: एलआईयू और सेलाकुई पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है, जो वर्षों से भारत में फर्जी नाम और पहचान के सहारे अवैध रूप से रह रहा था। आरोपी, जिसने खुद को बंगाली डॉक्टर 'अमित कुमार' के नाम से प्रस्तुत किया था, सेलाकुई के ग्राम कैंचीवाला धूमनगर चौक में निवास कर रहा था। पूछताछ के दौरान उसके पास से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, और ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किए गए हैं।
खुफिया सूचना पर हुई कार्रवाई
एसएसपी देहरादून को गोपनीय माध्यम से सूचना मिली थी कि सेलाकुई क्षेत्र में एक संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक पहचान छुपाकर रह रहा है। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) को जांच के निर्देश दिए। इसके बाद एलआईयू सहसपुर यूनिट ने पुलिस के साथ मिलकर क्षेत्र में एक गोपनीय सत्यापन अभियान चलाया। जमीनी स्तर पर सूचनाएं एकत्र करने के बाद पुलिस और एलआईयू की टीम ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया।
पहले बताया फर्जी नाम, सख्ती में उगले सच
पूछताछ के शुरुआती दौर में आरोपी ने खुद को अमित कुमार पुत्र मनीसन्त अधिकारी, निवासी पश्चिम बंगाल बताया। हालांकि, जब उससे कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने अपनी असली पहचान उजागर करते हुए बताया कि उसका वास्तविक नाम चयन अधिकारी है और वह ग्राम रोड श्रीपुर, सुल्तानपुर, पोस्ट ढालग्राम, जिला जेसोर, बांग्लादेश का मूल निवासी है।
2017 में भारत में अवैध रूप से प्रवेश
आरोपी ने स्वीकार किया कि वह वर्ष 2017-18 में बांग्लादेश के बेनापोल बॉर्डर के रास्ते उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेशी पासपोर्ट के माध्यम से भारत में दाखिल हुआ था। इसके बाद वह संभल, उत्तर प्रदेश में अपने ताऊ शंकर (पुत्र स्व. अमोल कृष्णा) के पास मोहमदपुर चला गया। उसके ताऊ एक बंगाली डॉक्टर थे और अपनी निजी क्लिनिक चलाते थे। आरोपी ने वहीं पर काम सीखना शुरू किया और ताऊ की मदद से अपनी पहचान छुपाकर 'अमित कुमार' नाम से फर्जी दस्तावेज बनवा लिए।
फर्जी दस्तावेज और पासपोर्ट जलाया
वर्ष 2022 में ताऊ की मृत्यु के बाद आरोपी को अपनी गिरफ्तारी का डर सताने लगा। इसके चलते उसने अपने पास मौजूद बांग्लादेशी पासपोर्ट को जला दिया ताकि उसकी असली पहचान उजागर न हो सके। फर्जी पहचान के आधार पर वह लगातार भारत में रह रहा था और किसी को शक भी नहीं हुआ।
पूछताछ में जुटी कई एजेंसियां
गिरफ्तारी के बाद आरोपी से एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप), आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो), एलआईयू, और स्पेशल ब्रांच की टीमें गहन पूछताछ कर रही हैं। यह भी जांच की जा रही है कि उसका किसी आपराधिक या आतंकी संगठन से कोई संबंध तो नहीं है।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
चयन अधिकारी को विदेशी अधिनियम, भारतीय दंड संहिता की जालसाजी से संबंधित धाराओं, और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के अपराधों में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। मामले की तह तक जाने के लिए जांच एजेंसियां अब उसकी भारत में रहन-सहन, संपर्क सूत्रों और संभावित नेटवर्क की जानकारी एकत्र कर रही हैं।





