Dehradun: रातोंरात उजड़ गए गांव, भूखे बच्चों संग जान बचाकर भागे लोग
- ANH News
- 17 सित॰
- 2 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 18 सित॰

देहरादून के पास स्थित सहस्रधारा क्षेत्र के ऊपर बसे मजाडा, चामासारी और जमाडा गांवों में एक भयावह रात ने लोगों की जिंदगियां बदल दी। जब आधी रात के बाद बादल फटा, तो मजाडा गांव में धरती कांपने लगी और लोगों के घर जैसे हिल उठे। जो लोग गहरी नींद में थे, उनकी नींद चीख-पुकार और दीवारों के कंपन से टूटी।
गांव के दीपू और जामा बताते हैं कि जैसे ही उन्हें आभास हुआ कि कोई बड़ी आपदा आई है, वे तुरंत सतर्क हो गए। गांव के लोगों ने एक-दूसरे को सतर्क करने के लिए सीटियां बजाईं और टॉर्च की रोशनी से आसपास के घरों को इशारा किया। सब लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे।

जमाडा गांव की महिलाएं- सुषमा, निशा और पूजा- अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं कि रात के उस अंधेरे में, तेज बारिश और बिजली की गर्जना के बीच वे अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए भागीं। भारी मलबा उनके घर और राशन का सारा सामान बहा ले गया। उनका सबकुछ मिट्टी में मिल गया। नौ छोटे बच्चों को लेकर जब वे पहाड़ी रास्तों पर चल रही थीं, तब रास्ते में कहीं दूध नहीं था, न भोजन, न रोशनी, और न ही कोई सहायता। बच्चों के होंठ भूख से सूख चुके थे, आंखों में आंसुओं की लकीरें थीं और चेहरे पर डर और थकावट साफ झलक रही थी।

पूजा बताती हैं कि उनके पास अब न घर है, न सामान, और न ही यह स्पष्ट है कि अगला कदम क्या होगा। वे सहस्रधारा तक तो किसी तरह पहुंच गई हैं, लेकिन अब आगे कहां जाएं, ये तय नहीं है। उनका पुश्तैनी घर पूरी तरह टूट चुका है और भविष्य अंधकारमय लगता है।

रात करीब एक बजे जब पहली बार बादल फटा, तो गांव में चीख-पुकार मच गई। लोगों को लगा कि शायद यही सबसे बुरा क्षण था, लेकिन करीब चार बजे सुबह एक और तेज झटका आया। इस बार घरों की नींव तक हिल गई। तब सभी को यकीन हो गया कि अब कुछ नहीं बचेगा। इसके बाद लोग तेजी से घरों से बाहर निकले और टॉर्च व सीटियों की मदद से गांव के अन्य लोगों को इकट्ठा किया गया। एक-दूसरे का सहारा बनकर लोग किसी तरह अंधेरे और बारिश के बीच सहस्रधारा की ओर निकल पड़े।

इस पूरी त्रासदी में जिस तरह छोटे-छोटे बच्चे भूखे-प्यासे, ठंड और डर के साये में अपनी माताओं के साथ मीलों पैदल चले, वह दृश्य किसी भी संवेदनशील मन को झकझोर देने वाला है। गांव उजड़ गया है, घर मिट्टी में मिल गए हैं, लेकिन लोगों की आंखों में अपने बच्चों के लिए जो चिंता है, वह इस आपदा की सबसे मार्मिक कहानी बनकर सामने आई है।





