धामी सरकार का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस! 3 साल में 150 से ज्यादा को भेजा जेल
- ANH News
- 10 घंटे पहले
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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम को गुरुवार को उस समय और बल मिला जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर #DhamiCleanUpCorruption हैशटैग टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया। हजारों यूजर्स ने इस मुहिम के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व की सराहना की।
लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाओं में कहा कि राज्य अब उस बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसका सपना आम जनता ने वर्षों से देखा था। इस मुहिम से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को नया आयाम मिल रहा है।
तीन वर्षों में 150 से अधिक भ्रष्टाचारियों को भेजा गया जेल
यूजर्स ने खासतौर पर इस बात की सराहना की कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को केवल शब्दों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जमीन पर उतारने का साहसिक कार्य किया है। बीते तीन वर्षों में 150 से अधिक भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार सिर्फ वादे नहीं, कार्रवाई में विश्वास रखती है।
धामी सरकार की यही सख्ती शिक्षा और भर्ती तंत्र में भी दिखाई दी, जहां सख्त नकल विरोधी कानून के जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली धांधलियों पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है। इसका सकारात्मक असर राज्य के प्रशासनिक कार्यों और जनता के भरोसे पर साफ नजर आने लगा है।
वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का मिला राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान
धामी सरकार की कार्यप्रणाली को देश के प्रतिष्ठित आर्थिक और नीतिगत मंचों ने भी मान्यता दी है। देश की एक प्रमुख बिजनेस समाचार वेबसाइट द्वारा जारी ताज़ा रैंकिंग के अनुसार, वित्तीय स्थिति के पैमाने पर उत्तराखंड को छोटे राज्यों में गोवा के बाद दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह उपलब्धि राज्य के मजबूत वित्तीय अनुशासन, पारदर्शी प्रशासन और विकासोन्मुख नीतियों का प्रतिफल है।
यही नहीं, इससे पहले नीति आयोग द्वारा जारी 2023-24 की सतत विकास रैंकिंग में भी उत्तराखंड को प्रथम स्थान प्राप्त हो चुका है, जो राज्य की समग्र नीति और निष्पादन क्षमता का प्रमाण है।
जनता के समर्थन से और सशक्त हुई मुहिम
भ्रष्टाचार के खिलाफ यह सशक्त मुहिम अब केवल एक सरकारी अभियान नहीं रही, बल्कि यह जनता की आवाज और उम्मीद बन चुकी है। सोशल मीडिया पर मिले भारी समर्थन ने यह साफ कर दिया है कि लोग अब परिवर्तन और पारदर्शिता वाले शासन मॉडल के साथ खड़े हैं।