CM धामी का घोटालेबाजों के खिलाफ सख्त अभियान, UPRNN के 136 करोड़ घोटाले की जांच करेगी एसआईटी
- ANH News
- 1 दिन पहले
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उत्तराखंड पुलिस ने घोटालेबाजों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अभियान के तहत एक और बड़ा कदम उठाया है। अब आईजी गढ़वाल परिक्षेत्र राजीव स्वरूप भी एक्शन मोड में आ गए हैं और उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के पूर्व अधिकारियों द्वारा 136 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है।
एसआईटी के गठन के बाद आईजी राजीव स्वरूप ने देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि वे इस जांच की प्रगति की आख्या हर 15 दिन में उपलब्ध कराएं। यह कदम इस गंभीर घोटाले की जांच को तेज करने और दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
यह है पूरा मामला: 136 करोड़ रुपये का घोटाला
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के पूर्व अधिकारियों ने वर्ष 2012 से 2018 के बीच कई निर्माण परियोजनाओं में 136 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। ये परियोजनाएं उत्तराखंड सरकार ने यूपीआरएनएन को दी थीं, जिनमें कौशल विकास और सेवायोजन विभाग के तहत 15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र, डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स, दून मेडिकल कॉलेज का ओपीडी ब्लॉक, पर्यटन विभाग के निर्माण कार्य, और बैकअप एनर्जी प्रोजेक्ट शामिल थे।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब 2019 में जांच शुरू हुई और यूपीआरएनएन के अपर परियोजना प्रबंधक सुनील कुमार मलिक की शिकायत पर नेहरू कॉलोनी थाने में छह मुकदमे दर्ज किए गए। इस घोटाले में पांच आरोपी शामिल थे और जांच में यह बात सामने आई कि परियोजनाओं में अनियमितताएं की गई थीं, जिसमें निर्माण के लिए निर्धारित धनराशि का गलत तरीके से उपयोग किया गया।
जांच में खुलासा: निर्माण कार्यों में घपलेबाजी
यूपीआरएनएन के तत्कालीन अधिकारियों ने मनमानी करते हुए परियोजनाओं के लिए आवंटित धनराशि को अधिक खर्च किया और एक कार्य के लिए खर्च की गई राशि को दूसरी परियोजनाओं में दिखाया। इसके अलावा, कुछ परियोजनाओं के लिए जमीन प्राप्त किए बिना ही भुगतान कर दिया गया। पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा और उनके सहयोगियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया, जिसमें लाखों रुपये की बंदरबांट की गई।
घोटाले में आरोपी अधिकारी
इस घोटाले में जिन अधिकारियों पर आरोप हैं, उनके नाम निम्नलिखित हैं:
शिव आसरे शर्मा - पूर्व महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त), आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
प्रदीप कुमार शर्मा - पूर्व परियोजना प्रबंधक (सेवानिवृत्त), नई दिल्ली
वीरेंद्र कुमार - सहायक लेखाधिकारी (बर्खास्त), बिजनौर, उत्तर प्रदेश
राम प्रकाश गुप्ता - सहायक लेखाधिकारी (सेवानिवृत्त), हरदोई, उत्तर प्रदेश
सतीश कुमार उपाध्याय - स्थानिक अभियंता (सेवानिवृत्त), प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
इन अधिकारियों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमे दर्ज किए गए हैं और अब एसआईटी इनकी जांच करेगी। पुलिस अधीक्षक नगर देहरादून द्वारा विवेचनाओं पर निगरानी रखी जा रही है और जांच की प्रगति की रिपोर्ट हर 15 दिन में सरकार को उपलब्ध कराई जाएगी।
पिछला विवाद: यूपीआरएनएन का नाम सिडकुल घोटाले में भी
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) का नाम घोटाले में सामने आया है। सिडकुल घोटाला में भी यूपीआरएनएन का नाम आया था, जिसमें फर्जी नियुक्तियों और वित्तीय अनियमितताओं की जांच की गई थी। यह घोटाला भी 2012 से 2017 के बीच हुआ था, जब यूपीआरएनएन ने उत्तराखंड में कई औद्योगिक परियोजनाओं का निर्माण किया था।
इस घोटाले की जांच के दौरान एसआईटी को सिडकुल के निर्माण कार्यों और फर्जी नियुक्तियों के दस्तावेज़ की कमी का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, 2023 में जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेजी गई और इसके बाद फर्जी नियुक्तियों पर मुकदमा दर्ज किया गया।
सख्त कदम और निष्पक्ष जांच
उत्तराखंड पुलिस का यह कदम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है, जिसमें हर स्तर पर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है। अब एसआईटी की जांच और राजीव स्वरूप की देखरेख में यह घोटाला सुलझने की दिशा में बढ़ रहा है। उत्तराखंड की जनता को उम्मीद है कि इस गंभीर मामले में सख्त कार्रवाई होगी और जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सजा मिलेगी।