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धनतेरस 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, जरूरी सामग्री से लेकर मंत्र और उपाय तक, जानें पूरी जानकारी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 18 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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धनतेरस, दीपावली पर्व की शुरुआत का पहला दिन होता है और यह समृद्धि, आरोग्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस पर की गई पूजा न केवल धन और वैभव में वृद्धि करती है, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को आरोग्य और दीर्घायु का वरदान भी देती है। इस पर्व को लेकर खासतौर पर व्यापारी वर्ग में उत्साह देखने को मिलता है क्योंकि इस दिन को नए व्यापार, निवेश, और खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है।


धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त

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धनतेरस पूजा का सर्वोत्तम समय प्रदोष काल में होता है, जब सूर्यास्त के बाद वृषभ लग्न चलता है।

प्रदोष काल: शाम 5:48 बजे से रात 8:20 बजे तक

वृषभ काल: शाम 7:16 बजे से रात 9:11 बजे तक

पूजा का सर्वोत्तम समय: शाम 7:16 से रात 8:20 तक (वृषभ लग्न में)

इसके अतिरिक्त, सिंह लग्न में भी पूजा का विशेष महत्व है, जिसका मुहूर्त देर रात 1:27 बजे से 3:41 बजे तक रहेगा।


धनतेरस पूजा विधि

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धनतेरस के दिन सुबह स्नान के बाद पूरे घर की सफाई करें और मुख्य द्वार पर रंगोली और दीपक से सजावट करें।

उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी बिछाकर उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा रखें और उस पर माता लक्ष्मी, गणेश जी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित करें।

कलश की स्थापना करें, जिसमें गंगाजल और स्वच्छ जल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।

इसके बाद पूजा में हल्दी, रोली, कुमकुम, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फूल, फल, नैवेद्य, मिठाई और मेवा का उपयोग करें।

गाय के घी का एक दीपक और 13 छोटे दीपक जलाएं- ये स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

भगवान गणेश, लक्ष्मी और कुबेर की विधिपूर्वक पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करें और आरती करें।


धनतेरस पर कौन-कौन सी वस्तुएं खरीदनी चाहिए

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धनतेरस के दिन शुभ वस्तुओं की खरीदारी से लक्ष्मी कृपा और शुभता का संचार होता है।

चांदी और सोने के सिक्के: लक्ष्मी-कुबेर की कृपा का प्रतीक

पीतल, तांबा और स्टील के बर्तन: घर में समृद्धि का आगमन

नई झाड़ू: दरिद्रता को दूर करने वाला प्रतीक

मोबाइल, लैपटॉप, वाहन, घरेलू सामान: नई शुरुआत और तकनीकी प्रगति का संकेत

धार्मिक मूर्तियाँ, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र: स्थायी सुख-समृद्धि के लिए


क्या न खरीदें

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कुछ वस्तुएं धनतेरस पर खरीदने से बचना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मकता और अशुभता से जुड़ी मानी जाती हैं:

कांच का सामान और चीनी मिट्टी की चीजें

लोहे और एल्युमिनियम के बर्तन

काले कपड़े, जूते, बेल्ट

नुकीली वस्तुएं जैसे छुरी, चाकू, कैंची

धनतेरस पूजा सामग्री की विस्तृत सूची

लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी की प्रतिमा या चित्र

श्री यंत्र और कुबेर यंत्र

पूजा चौकी, लाल/पीला वस्त्र

कलश, आम के पत्ते, नारियल

गंगाजल, गाय का घी

अक्षत, रोली, हल्दी, सिंदूर, चंदन

पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल

कमलगट्टा, फूल-माला, इत्र

पंच पल्लव, दूर्वा, कुश, पंचमेवा

दूध, दही, शहद, यज्ञोपवीत, गुलाल

दीपक, कपूर, धूप, गंध

मिठाई, नैवेद्य, नारियल, साबुत धनिया

चांदी/सोने के सिक्के

सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य

बैठने के लिए कुश या कंबल

धनतेरस कथा व आरती की पुस्तक


धनतेरस पूजा के मंत्र

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गणेश मंत्र:

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥


लक्ष्मी मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः


कुबेर मंत्र:

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः


धनतेरस केवल धन की प्राप्ति का पर्व नहीं, बल्कि घर में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सद्भावना के स्थायित्व का प्रतीक है। इस दिन यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो न केवल आर्थिक लाभ मिलता है, बल्कि पारिवारिक सौहार्द और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। पूजा के समय साफ-सफाई, मन की पवित्रता और संकल्प की स्पष्टता सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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