GST पर नहीं मिला लाभ? अब टोल-फ्री नंबर पर करें शिकायत, तुरंत होगी कार्रवाई
- ANH News
- 21 सित॰
- 4 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 22 सित॰

भारतीय उपभोक्ताओं को अब जीएसटी से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं। केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा और व्यावहारिक कदम उठाया है। "GST 2.0" के तहत, सरकार ने अब जीएसटी से जुड़ी शिकायतों और प्रश्नों के समाधान के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) को सक्षम बनाया है, जो सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की आवाज़ को सुनने और उसे सम्बंधित प्राधिकरण तक पहुंचाने का कार्य करेगा।
इस पहल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उपभोक्ता अब टोल-फ्री नंबर 1915 पर कॉल कर या INGRAM पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। यह सुविधा कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, ताकि हर वर्ग और क्षेत्र का व्यक्ति आसानी से अपनी बात रख सके।
यह निर्णय हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित GST परिषद की 56वीं बैठक में लिए गए "Next-Gen GST Reforms 2025" का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने भी स्वतंत्रता दिवस 2025 के अपने संबोधन में उपभोक्ता हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही थी। यह सेवा उसी वचन की एक सशक्त अभिव्यक्ति है।
जीएसटी पर सवाल? अब जवाब भी मिलेगा, और समाधान भी:
22 सितंबर 2025 से देशभर में संशोधित जीएसटी दरें, शुल्क और छूट लागू हो चुकी हैं। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं में यह चिंता बढ़ी कि क्या उन्हें इस बदलाव का सीधा लाभ मिलेगा या नहीं। इन्हीं आशंकाओं के समाधान के लिए NCH पर जीएसटी से जुड़ी शिकायतों के लिए एक अलग कैटेगरी शुरू की गई है।
अब उपभोक्ता ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, ई-कॉमर्स, एफएमसीजी, और कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जीएसटी से जुड़ी समस्याओं को ऑनलाइन रिपोर्ट कर सकते हैं। चाहे किसी उत्पाद पर गलत टैक्स वसूली हो या डिस्काउंट के बाद टैक्स दरों की गड़बड़ी — हर शिकायत अब रिकॉर्ड में आएगी और उस पर एक्शन भी होगा।
सिर्फ घोषणा नहीं, ज़मीनी तैयारी भी पूरी:
यह पहल केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक सुधार है जिसके लिए गंभीर तैयारी की गई है। 11 सितंबर 2025 को CBIC द्वारा NCH की टीम को जीएसटी से जुड़ी शिकायतों को समझने और संभालने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
इसके बाद, 17 सितंबर को उपभोक्ता मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक बड़ी बैठक आयोजित हुई, जिसमें प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संघों और उपभोक्ता उत्पाद निर्माताओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पारदर्शिता से पहुंचे, और किसी भी प्रकार की मनमानी की निगरानी की जाए।
शिकायत नहीं, अधिकार है आपकी बात रखना
अब उपभोक्ता सिर्फ ग्राहक नहीं, बल्कि सिस्टम का सक्रिय हिस्सा बन गए हैं। एनसीएच में दर्ज की गई शिकायतें सिर्फ रजिस्टर में नहीं जातीं, बल्कि उन्हें विश्लेषण कर संबंधित कंपनियों, CBIC और अन्य प्राधिकरणों को भेजा जाता है, ताकि समय रहते उचित कार्रवाई हो सके।
यह प्रक्रिया न सिर्फ उपभोक्ता संरक्षण को मजबूती देती है, बल्कि बाजार में न्यायपूर्ण और पारदर्शी व्यापार प्रणाली को भी बढ़ावा देती है। इससे व्यापारियों पर भी जिम्मेदारी बढ़ती है कि वे उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन न करें।
हेल्पलाइन की बढ़ती पहुंच और भरोसा:
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की लोकप्रियता और प्रभाव का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जहां दिसंबर 2015 में इस हेल्पलाइन पर मात्र 12,553 कॉल्स आई थीं, वहीं दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,55,138 कॉल्स प्रति माह हो चुका है।
शिकायतों की संख्या भी इसी तरह बढ़ती गई- 2017 में 37,000 के करीब थी, जो 2025 में 1.7 लाख को पार कर चुकी है। इतना ही नहीं, अब लगभग 65% शिकायतें डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दर्ज की जाती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय उपभोक्ता अब जागरूक भी हैं और तकनीकी रूप से सशक्त भी।
17 भाषाओं में सेवा, एक क्लिक पर समाधान:
आज उपभोक्ता www.consumerhelpline.gov.in
, UMANG ऐप, NCH ऐप, SMS, ईमेल, व्हाट्सएप, और वेब पोर्टल के माध्यम से भी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर 17 भारतीय भाषाओं में सहायता उपलब्ध है, ताकि देश के हर कोने में बैठा व्यक्ति अपनी आवाज़ न केवल उठा सके, बल्कि उसका समाधान भी पा सके।
एक बदलाव जो केवल नियम नहीं, बल्कि राहत लेकर आया है:
यह पहल सिर्फ एक हेल्पलाइन नंबर या एक पोर्टल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस सोच का हिस्सा है जिसमें "हर ग्राहक की आवाज़ महत्वपूर्ण है"। उपभोक्ताओं को न सिर्फ बोलने का अवसर दिया जा रहा है, बल्कि उनकी शिकायत को गंभीरता से सुनकर समयबद्ध समाधान देने की दिशा में ठोस कार्य हो रहा है।
आज जब बाजार में उत्पादों और सेवाओं की बाढ़ है, तब सरकार की यह पहल उपभोक्ता के हाथ में एक अधिकार का हथियार है — जो न केवल उन्हें जागरूक बनाता है, बल्कि जवाबदेही भी तय करता है।
उपभोक्ता सशक्तिकरण की नई दिशा
GST जैसे जटिल विषय पर आम उपभोक्ता को स्पष्ट, त्वरित और सुलभ सहायता देना सरकार की एक सार्थक और दूरगामी पहल है। यह न केवल उपभोक्ताओं को राहत देगा, बल्कि व्यापारियों को भी नियमों के पालन के लिए प्रेरित करेगा।
यदि अगली बार आपको किसी बिल में GST की गड़बड़ी दिखाई दे या छूट का लाभ न मिले- तो अब आप सिर्फ ग्राहक नहीं रहेंगे, आप एक सशक्त उपभोक्ता होंगे, जो जानता है कि शिकायत कहाँ करनी है… और कैसे अपने हक की बात करनी है।
1915 याद रखें… क्योंकि अब मदद सिर्फ एक कॉल दूर है।





