मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए जिलाधिकारी की बैठक, हाथियों को करंट से बचाने के निर्देश
- ANH News
- 29 अक्टू॰
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हरिद्वार जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग और विद्युत विभाग के बीच समन्वय को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि दोनों विभाग मिलकर ऐसी प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें जिससे हाथियों को विद्युत करंट से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाया जा सके।
बैठक के दौरान डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने एक विस्तृत प्रस्तुति (पीपीटी) के माध्यम से जिलाधिकारी को अवगत कराया कि हरिद्वार जनपद में कई स्थान ऐसे हैं जो हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर के अंतर्गत आते हैं। इन क्षेत्रों में कई जगहों पर विद्युत ट्रांसफार्मर खुले में लगे हुए हैं और विद्युत लाइनों की ऊँचाई मानकों के अनुरूप नहीं है, जिसके चलते हाथियों के संपर्क में आकर उनकी मृत्यु हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि हाथियों का अधिकांश मूवमेंट रात के समय में होता है, जब वे भोजन और जल स्रोतों की तलाश में जंगलों से आबादी की ओर आते हैं।
इस पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने यूपीसीएल अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि हाथी कॉरिडोर वाले सभी इलाकों का एक विशेष सर्वेक्षण टीम बनाकर तत्काल निरीक्षण किया जाए। ऐसे सभी स्थानों की पहचान की जाए जहाँ खुले ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं या विद्युत लाइनों की ऊँचाई मानक से कम है। उन्होंने आदेश दिया कि खुले ट्रांसफार्मरों को शीघ्र सुरक्षित फेसिंग में बदला जाए तथा उनकी ऊँचाई बढ़ाई जाए, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जिलाधिकारी ने 29 सितंबर की उस घटना पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की, जिसमें एक किसान ने अपनी फसल बचाने के लिए खेत में करेंट प्रवाहित कर दिया था, जिसके कारण एक हाथी की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। उन्होंने डीएफओ को निर्देश दिए कि संबंधित किसान के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्यवाही की जाए। इसी तरह बहादराबाद क्षेत्र में भी नदी किनारे विद्युत लाइनें अत्यधिक नीचे होने के कारण एक और हाथी की मृत्यु हुई थी। जिलाधिकारी ने इस मामले में भी दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जगजीतपुर क्षेत्र में देर रात हाथियों की आवाजाही के दौरान स्थानीय लोग अक्सर तेज आवाज कर उन्हें परेशान करते हैं, जो न केवल अवैज्ञानिक है बल्कि दुर्घटना का कारण भी बन सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे लोगों को पहले जागरूक किया जाए और चेतावनी के बाद भी न मानने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह, एसडीओ पूनम कैथोला, रेंज ऑफिसर एस.एस. नेगी, यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता दीपक सैनी सहित संबंधित विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। जिलाधिकारी ने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए प्रशासन, वन विभाग और स्थानीय समुदाय के बीच सामंजस्य और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी विभागों से इस दिशा में संयुक्त प्रयास करने का आह्वान किया ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।





