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अब शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को मिलेगा तय स्थान पर भोजन, गोद लेने की प्रक्रिया भी हुई शुरू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 7 दिन पहले
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उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन में अब शहरी क्षेत्रों में घूमने वाले निराश्रित कुत्तों के लिए व्यापक व्यवस्था लागू की जा रही है। 22 अगस्त को जारी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में शासन ने स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार कर दिए हैं। इन नियमों को शहरी विकास विभाग ने अधिसूचित करते हुए सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में अपर सचिव संतोष बडोनी द्वारा निर्देश जारी कर निदेशक शहरी विकास सहित सभी संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया है।


इन नई व्यवस्थाओं के अंतर्गत प्रत्येक नगर क्षेत्र के हर वार्ड में निराश्रित कुत्तों के लिए समर्पित भोजन स्थल (Feeding Point) बनाए जाएंगे। इन स्थलों का चयन इस प्रकार किया जाएगा कि उस क्षेत्र में मौजूद कुत्तों की संख्या और उनके आवागमन के दायरे को ध्यान में रखा जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि ये स्थान ऐसे इलाकों में हों जहाँ बच्चों या बुजुर्गों की आवाजाही कम हो, ताकि किसी प्रकार की असुविधा या दुर्घटना की संभावना न रहे। इन स्थलों की संख्या इतनी पर्याप्त रखी जाएगी कि कुत्तों को भोजन की तलाश में अपने क्षेत्र से बाहर न जाना पड़े।


इन भोजन स्थलों के अलावा शहर में किसी अन्य स्थान पर कुत्तों को भोजन कराना प्रतिबंधित रहेगा। नगर निकाय इन स्थानों पर स्पष्ट सूचना पट्ट (बोर्ड) लगाएंगे, जिन पर लिखा होगा कि निराश्रित कुत्तों को केवल इन्हीं निर्धारित स्थलों पर भोजन दिया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन कर अन्यत्र भोजन कराता है, तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


जनता को इन नई व्यवस्थाओं की जानकारी देने के लिए नगर निकायों को व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इस उद्देश्य से एक समर्पित हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी, ताकि नागरिक किसी प्रकार की शिकायत या सुझाव सीधे संबंधित अधिकारियों तक पहुँचा सकें। जब तक यह हेल्पलाइन चालू नहीं होती, तब तक शिकायतें मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1905 पर दर्ज की जा सकेंगी।


इन भोजन स्थलों की जिम्मेदारी केवल भोजन कराने तक सीमित नहीं होगी। पशु संरक्षकों और कुत्ता प्रेमियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वहाँ स्वच्छता बनी रहे तथा खाद्य अपशिष्ट का उचित निस्तारण किया जाए। इस व्यवस्था से न केवल कुत्तों के भोजन की समस्या का समाधान होगा बल्कि शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और जनसुरक्षा भी बनी रहेगी।


शासन ने यह भी व्यवस्था की है कि जो व्यक्ति या संगठन इन निराश्रित कुत्तों को गोद लेना चाहते हैं, वे संबंधित नगर निगम या नगर पालिका में आवेदन कर सकेंगे। आवेदन स्वीकृत होने के बाद कुत्ते को विधिवत चिह्नित कर गोद लेने की अनुमति दी जाएगी। गोद लिए गए कुत्ते को बाद में त्यागना या पुनः सड़कों पर छोड़ना निषिद्ध होगा।


इसके अलावा, रैबीज से ग्रस्त या हिंसक प्रवृत्ति वाले कुत्तों को विशेष निगरानी के तहत एबीसी (Animal Birth Control) या डॉग केयर सेंटर में रखा जाएगा। सामान्य प्रवृत्ति वाले कुत्तों का बधियाकरण और एंटी-रैबीज टीकाकरण कर उन्हें पुनः उनके क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।


कुत्तों को पकड़ने और संभालने के लिए नगर निकायों को प्रशिक्षित डॉग हैंडलर नियुक्त करने होंगे, ताकि किसी प्रकार की चोट या दुर्व्यवहार की संभावना न रहे। साथ ही, सभी निकायों को स्थानीय शिक्षण संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) और पशु प्रेमियों से सहयोग लेकर इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा।


हर नगर निकाय को अपने क्षेत्र में किए गए बधियाकरण, टीकाकरण, गोद लेने की प्रक्रिया, तथा वार्डवार निर्धारित भोजन स्थलों का पूरा अभिलेख रखना अनिवार्य होगा। इन समस्त गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट नियमित रूप से निदेशक शहरी विकास के माध्यम से शासन को प्रेषित की जाएगी।


यह नई व्यवस्था न केवल निराश्रित कुत्तों के संरक्षण और उनके प्रति मानवीय दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि शहरों में कुत्तों से संबंधित विवादों और घटनाओं पर भी नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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