आज नाग पंचमी है! जानिए ऐसे उपाय जो शिव को करेंगे प्रसन्न और कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
- ANH News
- 29 जुल॰
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सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित होता है और इस पावन माह के हर पर्व का भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्त्व होता है। इन पर्वों में से एक प्रमुख पर्व है नाग पंचमी, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से नाग देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है।
परंपरा और मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की पूजा करने से न केवल जीवन के संकट समाप्त होते हैं, बल्कि ग्रह दोषों में से एक, कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। साथ ही, इस दिन किए गए विशेष उपायों और मंत्रों का जाप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति का माध्यम बनता है।
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व और मान्यताएं
लोकल 18 से बातचीत में पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि नाग पंचमी का उल्लेख अनेक प्राचीन पुराणों और शास्त्रीय ग्रंथों में मिलता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, नाग देवताओं का भगवान शिव से गहरा संबंध है क्योंकि शिवजी अपने गले में वासुकी नाग धारण करते हैं। इसलिए नागों की पूजा शिव की पूजा का भी अभिन्न हिस्सा मानी जाती है।
इस दिन नाग देवताओं को दूध, पुष्प, चावल, दूर्वा तथा सिंदूर अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से न केवल परिवार में सौहार्द और शांति बनी रहती है, बल्कि संतान सुख की प्राप्ति की भी मान्यता है।
ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें जीवन में अनेक कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नाग पंचमी के दिन विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा करने से यह दोष शांत होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। इस दिन सर्प सूक्त का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है, जो नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायता करता है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शुभ उपाय
नाग पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान शिव और नाग देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान ॐ नमः शिवाय और ॐ नमो भगवते वासुकेश्वराय मंत्रों का जाप मन से लगनपूर्वक करना चाहिए।
इसके अलावा, नदी या जलाशय के किनारे जाकर नाग देवताओं के बारह नामों — अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक, पिंगला — का स्मरण और ध्यान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
नाग चित्र बनाना और वर्जित क्रियाएं
ग्रामीण परंपराओं में नाग पंचमी के दिन घर के द्वार या आंगन में नाग का चित्र बनाना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। यह चित्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में समृद्धि, सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक होता है। विशेष रूप से जब महिलाएं यह चित्र गोबर, हल्दी या रंगों से बनाती हैं, तो उसकी पवित्रता और भी बढ़ जाती है।
इस पवित्र दिन भूमि की खुदाई, वृक्षों की कटाई, खेती-बाड़ी करना वर्जित होता है। साथ ही नागों को नुकसान पहुँचाना या उन्हें भयभीत करना भी अशुभ माना जाता है। इसके बजाय, नाग देवताओं को दूध, चावल, गुड़ और फूल अर्पित कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नाग पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में नकारात्मकताओं को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का अवसर है। सावन के पावन माह में भगवान शिव और नाग देवताओं की उपासना से आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति संभव होती है। इसलिए इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक किए गए पूजन-आराधना का सर्वोच्च महत्व है।





