हाथी की संख्या का आकलन, देश में पांचवें नंबर पर सबसे अधिक उत्तराखंड में
- ANH News
- 16 अक्टू॰
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भारतीय वन्यजीव संस्थान में आयोजित 36वीं वार्षिक अनुसंधान संगोष्ठी के दौरान देश में हाथियों की संख्या का नवीनतम आकलन जारी किया गया। इस डीएनए आधारित “इंडिया सिंक्रोनाइज्ड एलिफेंट एस्टीमेशन” रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 22,446 हाथी मौजूद हैं। कर्नाटक में सबसे अधिक 6,013 हाथियों की आबादी है, जबकि उत्तर भारत में उत्तराखंड में 1,792 हाथी पाए गए हैं, जो देश में पांचवें स्थान पर है।
इससे पहले 2017 में जारी हुई हाथी आकलन रिपोर्ट में देश में लगभग 29,964 हाथियों की संख्या बताई गई थी। इस बार का आकलन पिछले तरीकों से भिन्न है, क्योंकि इसे मल के डीएनए के आधार पर किया गया है, जो कहीं अधिक सटीक माना जाता है। संस्थान की वैज्ञानिक विष्णु प्रिया ने बताया कि यह तरीका पहली बार अपनाया गया है, जबकि पहले केवल आँखों से पर्यवेक्षण के आधार पर ही हाथी की संख्या का अनुमान लगाया जाता था। इस आबादी के आकलन का कार्य 2022 और 2023 में पूरा किया गया, जबकि नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में 2024 में इस पर काम जारी रहा।
इस रिपोर्ट का विमोचन अंतरराष्ट्रीय बिग कैट अलायंस के महानिदेशक एसपी यादव, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक जनरल रमेश पांडे, भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक गोबिंद भारद्वाज, आईसीएसएपी के चेयरमैन डॉ. एरक भरूचा, डॉ. रुचि बडोला एवं डॉ. विष्णु प्रिया ने संयुक्त रूप से किया।
देश के 21 राज्यों में इस व्यापक आकलन का काम पूरा किया गया। इस दौरान कुल 3,19,460 डंग प्लाट बनाए गए और 21,056 नमूने एकत्र किए गए। साथ ही, लगभग 6,66,977 फुट सर्वेक्षण भी संपन्न किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाथी की वास्तविक संख्या का सटीक पता लगाया जाए।
राज्यों के अनुसार हाथी की संख्या में कर्नाटक सबसे आगे है, जिसके बाद असम में 4,159, तमिलनाडु में 3,136 और केरल में 2,785 हाथी पाए गए हैं। इस रिपोर्ट से जंगलों में हाथियों की वर्तमान स्थिति का एक स्पष्ट और वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता है, जो संरक्षण और नीति निर्धारण के लिए अहम है।
इस नए डीएनए आधारित आकलन ने हाथी संरक्षण के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल दी हैं, क्योंकि इससे न केवल संख्या बल्कि हाथियों के आवास, व्यवहार और स्थिरता की बेहतर समझ विकसित की जा सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के शोध से वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को और भी मजबूती मिलेगी और हाथियों के संरक्षण में बेहतर योजना बनाई जा सकेगी।





