पिता के जज़्बे की मिसाल: डेढ़ साल के बेटे को गोद में उठाकर 18 किलोमीटर दौड़ा
- ANH News
- 18 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 19 सित॰

उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश, भूस्खलन और रास्तों के बंद होने से जहां जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं इन मुश्किल हालातों में मानव साहस और जज्बे की ऐसी कहानियाँ भी सामने आ रही हैं, जो हर चुनौती को पीछे छोड़ देती हैं। ऐसी ही एक मार्मिक और प्रेरणादायक घटना मसूरी के थत्यूड़ गांव से सामने आई है, जहां एक पिता ने अपने बीमार बेटे को बचाने के लिए वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है।
डेढ़ साल का मासूम देवांग पिछले चार दिनों से गंभीर रूप से बीमार था। पहले उसे हल्का बुखार था, जिसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया गया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी तबीयत बिगड़ती गई। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को निमोनिया है और उसे तुरंत उन्नत इलाज की जरूरत है। लेकिन समस्या यह थी कि भारी बारिश और भूस्खलन के कारण गांव से बाहर निकलने का कोई रास्ता खुला नहीं था। सड़कों पर मलबा था, और संपर्क मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो चुके थे।

बुधवार को प्रशासन ने गंभीर मरीजों को देहरादून लाने के लिए हेलिकॉप्टर भेजा, लेकिन खराब मौसम के चलते उड़ान संभव नहीं हो पाई। ऐसे में जब बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, उसकी सांसें टूटने लगी थीं, तो उसके पिता समवीर ने हार मानने के बजाय बेटे को गोद में उठाया और पहाड़ी रास्तों पर दौड़ लगा दी। करीब 18 किलोमीटर तक, "बड़ा मोड़" से "कुठालगेट" होते हुए समवीर दौड़ते रहे- न रास्ते की परवाह, न शरीर की थकान, केवल बेटे की जान बचाने की ललक।
खराब मौसम, कीचड़, टूटे हुए रास्ते और भूस्खलन की दुश्वारियों को पार करते हुए वे आखिरकार दोपहर करीब चार बजे देहरादून पहुंचे और एक निजी अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया। यह जज्बा न केवल एक पिता के प्यार की गवाही है, बल्कि आपदा में मानवीय दृढ़ता की एक मिसाल भी है।

इसी दौरान मसूरी में फंसे 12 अन्य गंभीर मरीजों को भी देहरादून भेजा गया। इनमें दो ऐसे मरीज शामिल थे जिनकी सर्जरी होनी है और नौ मरीज डायलिसिस पर निर्भर हैं। प्रशासन द्वारा पहले हेलिकॉप्टर से इन मरीजों को लाने की कोशिश की गई थी, लेकिन मौसम ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद तीन एंबुलेंस और दो निजी वाहनों की मदद से इन मरीजों को सुरक्षित देहरादून पहुंचाया गया। भाजपा मंडल अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि यह राहत कार्य कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के निर्देश पर किया गया।
आपदा के चलते देहरादून की यातायात व्यवस्था भी काफी प्रभावित हुई है। मसूरी मार्ग पर मलबा जमा होने और सड़क ध्वस्त होने के कारण यहां ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया गया है। यातायात पुलिस ने वैकल्पिक मार्गों की घोषणा की है, जिनके तहत विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई, झाझरा, पांवटा साहिब और अन्य क्षेत्रों से देहरादून आने-जाने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग रूट तय किए गए हैं। एसपी ट्रैफिक लोकजीत सिंह ने बताया कि मसूरी मार्ग को जल्द खोलने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन तब तक डायवर्जन योजना जारी रहेगी।
खाद्य संकट से जूझ रहे मालदेवता क्षेत्र के आपदा प्रभावित गांवों तक भी प्रशासन ने राहत पहुंचाने के लिए तेज़ी दिखाई है। सड़कों के क्षतिग्रस्त होने और मलबा हटाने में हो रही देरी को देखते हुए हेलिकॉप्टर से राशन पहुंचाने का निर्णय लिया गया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुमति मिलने के बाद हेलिकॉप्टर के माध्यम से 700 किलोग्राम राशन विभिन्न गांवों में पहुंचाया गया। इस राहत सामग्री को 60 परिवारों में बांटा गया। यह पूरा राहत अभियान एसडीएम कुमकुम जोशी के नेतृत्व में संपन्न हुआ। प्रभावित गांवों में प्रशासन के कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं, ताकि लोगों की जरूरतों को समय रहते पूरा किया जा सके।
इस आपदा के बीच, जहां एक ओर प्राकृतिक परिस्थितियाँ चुनौतियाँ खड़ी कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की तत्परता और आम नागरिकों का अदम्य साहस राहत और उम्मीद की मिसाल बन रहा है। विशेष रूप से एक पिता द्वारा अपने बेटे के लिए दिखाई गई यह अथक दौड़, मानव भावना की सबसे उच्चतम अभिव्यक्ति है- जहाँ प्रेम, साहस और ज़िम्मेदारी हर बाधा को पार कर जाते हैं।





