वन और वन्यजीवों की सुरक्षा पर वनमंत्री का मजबूत संदेश, उत्कृष्ट वनकर्मियों को किया सम्मानित
- ANH News
- 10 अक्टू॰
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ऋषिकेश: लच्छीवाला में आयोजित वन्यजीव सप्ताह के समापन समारोह में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन और वन्यजीव संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह हमारे जीवन के आधार हैं और इनके बिना मानव जीवन की कल्पना अधूरी है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि हम मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखें, क्योंकि यह संतुलन ही प्रकृति के सौंदर्य और स्थायित्व की कुंजी है।
कार्यक्रम में मंत्री ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले वनकर्मियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया और उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वच्छ हवा, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारी अगली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य उपहार होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि जैव विविधता, जल स्रोत और जीवन चक्र के अहम हिस्से हैं।
वन मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा वन्यजीवों की सुरक्षा और वन क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बनाए रखा जा सके। उन्होंने लोगों से अपील की कि पर्यावरण संरक्षण को केवल सरकारी जिम्मेदारी न मानें, बल्कि इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
वहीं, विधायक बृजभूषण गैरोला ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति की रक्षा करना ही मानवता की सच्ची सेवा है। उन्होंने डोईवाला क्षेत्र में वन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि बच्चों और युवाओं को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक करना आज की बड़ी जरूरत है, ताकि वे प्रकृति के महत्व को समझ सकें और उसका संरक्षण कर सकें।
समारोह के दौरान वन्यजीव संरक्षण पर आधारित एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें लोगों को वन्य जीवन की विविधता और संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही प्रसिद्ध लोकगायक गणेश कांडपाल और उनकी टीम ने पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में सांस्कृतिक रंग भी भरा।
कार्यक्रम का संचालन लच्छीवाला रेंजर मेधावी कीर्ति द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन कुमार मिश्र, बीपी गुप्ता, ब्लॉक प्रमुख गौरव चौधरी, पालिकाध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी, राजकुमार राज, कृष्णा तड़ियाल, रीता क्षेत्री सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। समापन समारोह ने वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक सशक्त संदेश दिया और लोगों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।





