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धर्मांतरण से लेकर मदरसा मान्यता तक, उत्तराखंड में कानूनों का बड़ा बदलाव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 अग॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 22 अग॰

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उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र 2025 में राज्य सरकार ने एक साथ नौ महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए, जिनका सीधा असर आम जनता के जीवन, धार्मिक स्वतंत्रता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं और पंचायत चुनाव व्यवस्था पर पड़ने वाला है। इन विधेयकों के लागू होते ही समाज के कई वर्गों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। आइए इन विधेयकों पर एक-एक करके विस्तार से नज़र डालते हैं:


1. समान नागरिक संहिता (संशोधन) विधेयक

इस विधेयक के तहत विवाह का पंजीकरण अब विवाह के एक वर्ष तक कराया जा सकेगा। साथ ही, यदि कोई विवाह पंजीकरण कराने में विफल रहता है, तो दंडात्मक प्रावधान भी जोड़ा गया है।

रजिस्ट्रार को यह अधिकार दिया गया है कि वे नियमों के उल्लंघन पर विवाह पंजीकरण निरस्त कर सकें।

महत्व: विवाह को कानूनी दर्जा दिलाने और पारदर्शिता बनाए रखने में यह विधेयक सहायक सिद्ध होगा।


2. उत्तराखंड धर्मांतरण प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक

इस विधेयक के तहत जबरन, धोखे से या लालच देकर कराए गए धर्म परिवर्तन को गंभीर अपराध माना गया है।

ऐसे मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

महत्व: यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करेगा और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने में सहायक होगा।


3. मदरसा एवं अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान मान्यता विधेयक

अब अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में केवल मदरसे ही नहीं, बल्कि सिख, बौद्ध और जैन समुदायों के शैक्षणिक संस्थान भी शामिल होंगे।

1 जुलाई 2026 तक सभी मदरसों को शैक्षणिक और प्रशासनिक मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा।

महत्व: इससे मदरसों की शिक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता बढ़ेगी।


4. उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक

टिहरी जिले के नरेंद्रनगर में एक नया निजी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।

महत्व: इससे युवाओं को उच्च शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे और स्थानीय विकास को गति मिलेगी।


5. पंचायती राज (संशोधन) विधेयक

अब 25 जुलाई 2019 से पहले जिनके दो से अधिक जीवित संतानें हैं, वे भी पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे।

इसके साथ-साथ ओबीसी आरक्षण को भी एकल सदस्यीय आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया है।

महत्व: यह फैसला सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा और अधिक लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर देगा।


6. लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक

राज्य के लोकतंत्र सेनानियों को अब सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।

महत्व: इससे उन लोगों को सम्मान मिलेगा जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया था।


7. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर अधिनियम (संशोधन)

धार्मिक स्थलों के बेहतर प्रबंधन हेतु उपाध्यक्ष का एक नया पद सृजित किया गया है।

महत्व: यह कदम इन प्रमुख धार्मिक स्थलों के प्रशासन को सशक्त और व्यवस्थित बनाने की दिशा में उठाया गया है।


8. साक्षी संरक्षण (निरसन) विधेयक

अब आपराधिक मामलों में गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी ताकि वे बिना किसी डर के न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग कर सकें।

महत्व: इससे न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा और अपराधियों को दंडित करना आसान होगा।


9. विनियोग विधेयक

इस विधेयक के माध्यम से राज्य के विभिन्न विकास कार्यों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

महत्व: यह विधेयक प्रदेश के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों, आदि क्षेत्रों में गति लाने में सहायक होगा।


उत्तराखंड सरकार द्वारा मानसून सत्र में पारित ये नौ विधेयक राज्य के सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक और प्रशासनिक ढांचे में गंभीर व सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में उठाया गया कदम हैं। इन कानूनों के लागू होने से जहां आम जनता को लाभ होगा, वहीं यह सरकार की नवाचार और सुधार की नीति को भी दर्शाते हैं।

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