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गणेश चतुर्थी में बरतें ये सावधानियां तभी मिलेगी सिद्धि और बुद्धि, नहीं तो होगा वास्तुदोष

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 28 अग॰

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इंतजार की घड़ियां अब समाप्त होने को हैं। आज का दिन भक्तों के लिए अत्यंत पावन और मंगलकारी है, क्योंकि आज गणेश चतुर्थी का महापर्व है। यह दिन भगवान श्री गणेश के स्वागत और स्थापना का दिन है। पूरे देश में आज उल्लास, भक्ति और श्रद्धा के साथ गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई दे रही है।


हर घर, हर मंदिर और हर पंडाल में गणेश जी की मूर्ति की विधिवत स्थापना की जा रही है। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, मंत्रोच्चारण, और भोग अर्पण का आयोजन होता है।


लेकिन इस पूरे अनुष्ठान में एक बहुत ही अहम सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है-

गणेश जी की मूर्ति की स्थापना किस दिशा में करनी चाहिए?

यह सवाल ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुशास्त्र के अनुसार भी इसका बड़ा प्रभाव होता है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यताओं और सही दिशा के बारे में विस्तार से।


मूर्ति स्थापना के लिए सबसे शुभ दिशा कौन-सी है?

वास्तुशास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति की स्थापना के लिए उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, सबसे शुभ मानी जाती है।

यह दिशा आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से परिपूर्ण मानी जाती है। यहां मूर्ति स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और ज्ञान का वास होता है।


यदि आप अपने घर या कार्यस्थल में गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो मुख्य पूजा स्थल को ईशान कोण में चुनना अत्यंत लाभकारी होगा।


ध्यान दें: मूर्ति इस तरह रखें कि गणेश जी का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो और श्रद्धालु पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करें। इससे ऊर्जा का संचार सही रूप से होता है।


मूर्ति स्थापना के लिए अपवित्र या अशुभ मानी जाने वाली दिशा:

जहां सही दिशा का चयन शुभ फल देता है, वहीं गलत दिशा में मूर्ति की स्थापना से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।

वास्तु के अनुसार, निम्नलिखित स्थानों पर कभी भी गणेश जी की मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए:


स्टोर रूम (भंडारण कक्ष) के पास


डस्टबिन (कचरे के स्थान) के निकट


सीढ़ियों के नीचे या आसपास


बाथरूम या टॉयलेट की ओर मुख करके


सोने या खाने की जगह में मूर्ति न रखें, विशेषकर जब वह पूजा के बाद घर में लंबे समय तक रहे।


ऐसे स्थानों पर मूर्ति स्थापित करने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे घर में मानसिक अशांति, आर्थिक समस्याएं या अन्य नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।


गणेश चतुर्थी 2025 का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 (बुधवार) को मनाया जा रहा है।

पूजा का शुभ मुहूर्त:

सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक

इस अवधि में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना और पूजन अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।


गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक आस्था, ऊर्जा और नवचेतना का उत्सव है।

जब हम सही दिशा में, पूरे विधि-विधान और भावना से गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं, तो हमारे जीवन में नए अवसर, समाधान और सकारात्मकता का आगमन होता है।


तो इस पावन पर्व पर, अपने घर में ईशान कोण को गणपति के स्वागत के लिए सजाएं और पूरे मन से यह दिव्य पूजन करें।

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