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Haridwar:17 दिन बाद हरकी पैड़ी पर गंगाजी आ गईं, श्रद्धालुओं ने गंगा में जमकर लगाई डुबकी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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हरिद्वार: 17 दिन की प्रतीक्षा के बाद आखिरकार हरकी पैड़ी पर पुनः गंगा की निर्मल धारा बहने लगी है। यह खुशखबरी गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं के लिए बेहद राहत भरी साबित हुई, क्योंकि सुबह-सुबह ही हरकी पैड़ी पर पर्याप्त जल स्तर मिलने से लोगों ने श्रद्धापूर्वक गंगा में डुबकी लगाई और धार्मिक अनुष्ठानों का आनंद लिया।


उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा ऊपरी गंगनहर की वार्षिक बंदी 2 अक्टूबर की मध्यरात्रि को दशहरा के मौके पर की गई थी। इस दौरान गंगनहर के जल प्रवाह को रोककर मरम्मत कार्यों को अंजाम दिया गया। बंदी के इस अवधि में गंगनहर की साफ-सफाई, गेटों की मरम्मत और क्षतिग्रस्त किनारों की बहाली जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए गए।


पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार नवरात्र के दस दिनों के आयोजन के कारण गंगनहर की बंदी एक दिन कम, यानी 17 दिन की रही, जबकि सामान्यत: यह बंदी 18 दिन तक होती है। इस वजह से हरकी पैड़ी पर आने वाली गंगा की निरंतर धारा अवरुद्ध हो गई थी, जिससे गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं को कुछ असुविधाओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने गंगा आरती के दौरान जल छोड़कर श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा।


छोटी दीपावली की रात, 19 से 20 अक्तूबर की मध्यरात्रि को गंगनहर पुनः खोल दिया गया, जिससे हरकी पैड़ी पर गंगा का जल पुनः बहने लगा। भीमगोड़ा बैराज के जूनियर इंजीनियर हरीश कुमार ने बताया कि बंदी के दौरान आवश्यक मरम्मत कार्य सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं और अब बाहरी कार्य धीरे-धीरे जारी रहेंगे। उन्होंने आश्वस्त किया कि गंगनहर में जल प्रवाह शुरू होने से हरकी पैड़ी पर अब पहले जैसी स्थिति बनी रहेगी और श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के दौरान किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।


इस प्रकार गंगा का पुनः प्रवाह न केवल धार्मिक आस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय जनजीवन और पर्यावरण के लिए भी आवश्यक है। हरकी पैड़ी पर गंगा की बहती धारा ने न केवल श्रद्धालुओं के मन को शांति और प्रसन्नता दी है, बल्कि यह उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के कुशल प्रबंधन का भी परिचायक है।

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