उत्तराखंड में नई गाइडलाइन का उल्लंघन पड़ा भारी, केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन देखें
- ANH News
- 17 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 18 सित॰

उत्तराखंड में छात्रों की छात्रवृत्ति पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, और इसका कारण है केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन का सही तरीके से पालन न किया जाना। केंद्र की ओर से शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिनमें छात्रों के आवेदन फॉर्म में माता का नाम दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं हैं, जिनके आवेदन में मां का नाम नहीं भरा गया है, जिसके चलते न केवल उनकी छात्रवृत्ति रुक गई है, बल्कि केंद्र ने राज्य का बजट भी फिलहाल के लिए रोक दिया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस विषय में सभी राज्यों को पत्र भेजकर सूचित किया है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए छात्रों का पूर्ण विवरण अनिवार्य रूप से ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाए। इसमें विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि हर छात्र और छात्रा के विवरण में उनकी मां का नाम दर्ज होना चाहिए। यह नियम इसलिए जरूरी किया गया है क्योंकि केंद्र सरकार इन योजनाओं के लिए ‘स्पर्श’ नामक एक एकीकृत ऑनलाइन वित्तीय प्रणाली का उपयोग कर रही है। इस प्रणाली को आरबीआई की ई-कुबेर प्रणाली और राज्यों की वित्तीय प्रणालियों से जोड़ा गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्र से भेजे गए फंड का उपयोग सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए हो, जिसके लिए वह आवंटित किया गया है।
स्पर्श प्रणाली का मूल उद्देश्य है वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बनाए रखना और बजट के दुरुपयोग की संभावना को समाप्त करना। जब छात्रों के फॉर्म में मां का नाम नहीं होता, तो यह डेटा अधूरा माना जाता है और ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार बजट जारी नहीं करती। उत्तराखंड में इस कारण कई छात्रवृत्तियाँ प्रभावित हो चुकी हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इस स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक है कि राज्य शिक्षा विभाग केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार सभी छात्रों का विवरण अपडेट कराए, विशेष रूप से माता के नाम की प्रविष्टि सुनिश्चित करे, ताकि छात्रवृत्तियाँ फिर से निर्बाध रूप से जारी हो सकें और राज्य को केंद्र से बजट प्राप्त हो सके। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, छात्रवृत्ति पाने वाले हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटका रह सकता है।





