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हरेला सिर्फ त्योहार नहीं, धरती के श्रृंगार का व्रत है: डीएम टिहरी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 17 जुल॰
  • 1 मिनट पठन
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उत्तराखंड की समृद्ध लोक परंपरा और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरूकता का संदेश भी देता है। इसी अवसर पर जिलाधिकारी टिहरी नीतिका खंडेलवाल ने कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह धरती के श्रृंगार का उत्सव है, जिसे केवल एक दिन नहीं, बल्कि पूरे वर्ष निभाए जाने की आवश्यकता है।


उन्होंने कहा-"धरती तब ही सुंदर और सुरक्षित रह सकती है, जब उसके पेड़-पौधे, जंगल, नदियाँ और पर्यावरण संरक्षित हों। हरेला का संदेश यही है कि हम प्रकृति से जुड़ें और उसका सम्मान करें।"


जिलाधिकारी ने जोर देकर कहा कि हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने स्कूली बच्चों, युवाओं और ग्रामवासियों से अपील की कि वे इस पर्व को केवल प्रतीकात्मक रूप से न मनाएं, बल्कि वृक्षारोपण को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।


उन्होंने आगे कहा-"हर लगाए गए पौधे की देखभाल करना उतना ही जरूरी है जितना उसे लगाना। एक पौधा तभी सार्थक होता है जब वह बड़ा होकर छाया दे, फल दे और पर्यावरण को समृद्ध बनाए।"


जिलाधिकारी नीतिका खंडेलवाल ने सभी विभागीय अधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे हरेला पर्व को जनभागीदारी का माध्यम बनाएं और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस पहल करें।

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