कुंभ की भव्यता अब अर्द्धकुंभ में भी, हरिद्वार में होंगे तीन शाही अमृत स्नान
- ANH News
- 14 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 15 सित॰

हरिद्वार में वर्ष 2027 में लगने वाला अर्द्धकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और भव्य आयोजन बनने जा रहा है, जिसकी शुरुआत 6 मार्च 2027, महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर होगी। यह मेला आध्यात्मिक आस्था, धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम होगा। इस बार की विशेष बात यह है कि अर्द्धकुंभ में भी कुंभ की भांति शाही स्नान की परंपरा को अपनाया जाएगा। साधु-संन्यासी और अखाड़ों के संतजन उसी गरिमा और दिव्यता के साथ शाही स्नान में भाग लेंगे, जैसी कुंभ में होती है।
इसी के साथ नासिक में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन 2 अगस्त 2027 से प्रारंभ होकर 24 जुलाई 2028 तक चलेगा। यह लगभग एक वर्ष लंबा आयोजन होगा, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भारत सहित विदेशों से भी पुण्य स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने आएंगे। सिंहस्थ कुंभ का प्रथम अमृत स्नान 2 अगस्त 2027 (दर्श अमावस्या) को होगा, दूसरा शाही स्नान 31 अगस्त 2027, और तीसरा 12 सितंबर 2027 को होगा। समापन 24 जुलाई 2028 को संपन्न होगा।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने इन तिथियों की घोषणा करते हुए बताया कि मेले की तैयारियां अब तेजी से शुरू हो जाएंगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि रविवार को जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के संरक्षण और निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया जाएगा। इस बैठक में सभी प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अर्द्धकुंभ मेला पूर्णत: साधु-संतों और श्रद्धालुओं की आवश्यकताओं के अनुरूप आयोजित हो। संत समुदाय से सुझाव लिए जाएंगे ताकि मेला-प्रबंधन और व्यवस्था में उनकी धार्मिक भावना और परंपराएं सम्मिलित की जा सकें। श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने विश्वास जताया कि यह मेला उत्तराखंड सरकार और देशभर के संत समाज के सहयोग से न केवल सफल होगा, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी यादगार बनेगा।
हरिद्वार का अर्द्धकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमारी सनातन परंपरा, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। इस बार शाही स्नानों की भव्यता और साधु-संन्यासियों की गरिमामयी उपस्थिति मेले को एक नई ऊँचाई प्रदान करेगी। तिथियों की घोषणा के साथ ही स्थानीय प्रशासन, धार्मिक संगठन और सेवाभावी संस्थाएं तैयारियों में जुट गई हैं, ताकि आने वाला मेला श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन सके।





