Haridwar Kumbh 2027: रोबोट, AI चैटबॉट और स्मार्ट मैपिंग से सजेगा 2027 का सबसे आधुनिक मेला
- ANH News
- 10 अक्टू॰
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हरिद्वार में वर्ष 2027 में आयोजित होने वाला कुंभ मेला इस बार तकनीकी दृष्टिकोण से ऐतिहासिक बनने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार इसे एक “डिजिटल कुंभ” के रूप में विकसित करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है, जहां श्रद्धालुओं को पारंपरिक धार्मिक अनुभव के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का संगम देखने को मिलेगा।
आईटीडीए (Information Technology Development Agency) ने इस दिशा में एक विस्तृत डिजिटल कार्ययोजना तैयार की है, जिसके लिए कुल ₹45 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। इस योजना में श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन से लेकर भूमि आवंटन और भीड़ नियंत्रण तक हर पहलू को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की तैयारी की गई है।
डिजिटल कुंभ को छह प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल को परिभाषित करती हैं। सबसे पहली श्रेणी डिजिटल प्लेटफॉर्म और सिटीजन सर्विसेज की है, जिसके अंतर्गत एक इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की स्थापना की जाएगी। कुंभ 2027 के लिए विशेष रूप से वेबसाइट और मोबाइल ऐप तैयार किया जाएगा, जिसमें तीर्थयात्रियों को संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
श्रद्धालुओं को डिजिटल आईडी और ई-पास दिए जाएंगे, ताकि हर व्यक्ति की पहचान और उसकी मूवमेंट को सुरक्षित और ट्रैक किया जा सके। ‘खोया-पाया’ जैसी पारंपरिक व्यवस्थाएं अब डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित होंगी, जिससे गुमशुदा लोगों और वस्तुओं को ढूंढना आसान होगा। एआई आधारित चैटबॉट तीर्थयात्रियों के हर सवाल का जवाब देगा, वहीं टेंट और साफ-सफाई की रियल-टाइम मॉनिटरिंग भी डिजिटल तरीके से की जाएगी।
दूसरी श्रेणी प्लानिंग और जियोस्पेशियल मैपिंग की है, जिसमें ड्रोन आधारित मैपिंग, 10 किलोमीटर के बफर जोन की निगरानी, सीसीटीवी और एआई कैमरे की जियो टैगिंग, घाटों और ट्रैफिक की जीआईएस लेयर, स्मार्ट इनवेंट्री ट्रैकिंग और डिजिटल ट्विन प्लेटफॉर्म जैसी तकनीकों का समावेश होगा। इससे पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी और योजना निर्माण अधिक वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढंग से की जा सकेगी।
भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिहाज से यह मेला अब तक का सबसे उन्नत मेला बनने की ओर अग्रसर है। यहां ब्लूटूथ आधारित क्राउड मॉनिटरिंग सिस्टम, हीटमैप आधारित भीड़ प्रवाह का डैशबोर्ड, संवेदनशील क्षेत्रों की जियोफेंसिंग और सेंसर आधारित स्मार्ट पार्किंग जैसी व्यवस्थाएं लागू की जाएंगी। सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर की स्थापना के साथ-साथ ईवी चार्जिंग स्टेशन की जानकारी देने वाला लोकेटर सिस्टम भी तैयार होगा।
तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पूरे मेला क्षेत्र में सूचना कियोस्क लगाए जाएंगे। जगह-जगह लगे क्यूआर कोड साइनेज में न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी होगी, बल्कि उन्हें स्कैन कर श्रद्धालु विशेष स्थलों से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे। अखाड़ों, शाही स्नान और प्रमुख आयोजनों की जानकारी विजुअल डिस्प्ले के माध्यम से मिलेगी।
डिजिटल कुंभ एक्सपीरियंस सेंटर, रोबोटिक्स और एक आधुनिक म्यूजियम की भी परिकल्पना की गई है, जिससे श्रद्धालु आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ डिजिटल युग की झलक भी महसूस कर सकें।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से गंगा घाटों पर पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम और सार्वजनिक वाई-फाई जोन जैसी सुविधाएं मेला क्षेत्र को स्मार्ट बनाएंगी।
आपदा न्यूनीकरण के तहत संभावित खतरों का मूल्यांकन, बाढ़ और आग से सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं और स्वच्छता सुनिश्चित करने की तैयारी की गई है।
आईटी सचिव नितेश झा के अनुसार, कुंभ जैसे विशाल आयोजन को तकनीकी दृष्टिकोण से सुसज्जित कर आधुनिक भारत की धार्मिक परंपरा को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी जा रही है।
डिजिटल कुंभ 2027 न केवल श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाएगा, बल्कि उत्तराखंड को स्मार्ट तीर्थाटन की दिशा में एक मील का पत्थर भी प्रदान करेगा।





