हरकी पैड़ी पर अब कोई भी जूते-चप्पल पहनकर प्रवेश नहीं कर पाएगा, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
- ANH News
- 7 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 8 सित॰

हरिद्वार की विश्वप्रसिद्ध धार्मिक आस्था स्थल हरकी पैड़ी की पवित्रता को बनाए रखने और श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अक्टूबर 2026 से कोई भी व्यक्ति जूते-चप्पल पहनकर हरकी पैड़ी क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इस निर्णय को लागू करने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं और इसे पूरी तरह व्यवस्थित और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर क्रियान्वित किया जाएगा।
प्रशासन की योजना के अनुसार, हरकी पैड़ी के छह प्रमुख प्रवेश द्वारों — पंतद्वीप, अपर रोड, कांगड़ा घाट, सीसीआर शिव सेतु, संजय पुल और हाथी पुल के दोनों ओर — क्लॉक रूम और मेटल डिटेक्टर स्थापित किए जाएंगे। इन क्लॉक रूमों में श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल सुरक्षित रख सकेंगे। इसके लिए टोकन प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को अपने सामान की सुरक्षा और वापसी को लेकर किसी प्रकार की परेशानी न हो। व्यवस्था को आधुनिक तकनीक के माध्यम से संचालित किया जाएगा ताकि भीड़ के बावजूद सुविधा बनी रहे।
प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। प्रत्येक एंट्री पॉइंट पर मेटल डिटेक्टर लगाए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा जांच अनिवार्य होगी। यह न केवल सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि क्षेत्र में अनुशासित और सुव्यवस्थित प्रवेश की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम होगा। पुलिस अधिकारियों के साथ इस योजना को लेकर बैठकें भी हो चुकी हैं और क्रियान्वयन की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
हरकी पैड़ी क्षेत्र में नंगे पांव चलने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए पूरे क्षेत्र में मैट बिछाए जाएंगे, ताकि उन्हें गर्म पत्थरों या असुविधाजनक सतह पर चलने में कठिनाई न हो। इस योजना के अंतर्गत घाट क्षेत्र में अवैध फड़, भीख मांगने वालों तथा लावारिस पशुओं का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। यह कदम घाट की पवित्रता को और अधिक सुदृढ़ बनाएगा।
प्रशासन का कहना है कि यह पूरा कदम हरकी पैड़ी के धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप को सहेजने की दिशा में उठाया जा रहा है। नंगे पांव गंगा दर्शन की यह परंपरा श्रद्धा का प्रतीक है, जिसे संस्थागत रूप देकर श्रद्धालुओं को एक और पवित्र अनुभव प्रदान किया जाएगा।
इस नई व्यवस्था से जहां श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित होगा, वहीं हरकी पैड़ी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक प्रभावी ढंग से परिलक्षित होगा। प्रशासन को विश्वास है कि यह पहल पूरे देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के बीच सकारात्मक प्रभाव डालेगी और हरिद्वार की आध्यात्मिक छवि को और अधिक उज्ज्वल बनाएगी।





