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यौन उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए देहरादून एयरपोर्ट पर महिलाओं को दी गई पॉश एक्ट की जानकारी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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देहरादून एयरपोर्ट पर महिला कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल को अधिक सुरक्षित, जागरूक और सहयोगपूर्ण बनाने के उद्देश्य से महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण संबंधी अधिनियम, 2013 (पॉश एक्ट) के प्रावधानों पर विस्तृत जानकारी दी गई। इस विशेष कार्यक्रम में एयरपोर्ट से जुड़े विभिन्न विभागों और एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें महिला कर्मचारियों को उनके अधिकारों, सुरक्षा उपायों और शिकायत निवारण प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया।


कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता रचना पांधी ने पॉश एक्ट की मूल भावना और इसकी कानूनी संरचना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह अधिनियम 9 दिसंबर 2013 को लागू किया गया था। इसका उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें सम्मानजनक तथा सुरक्षित वातावरण देना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कानून न केवल सरकारी, बल्कि निजी क्षेत्र की संस्थाओं, संगठनों, कार्यालयों, दुकानों, होटलों और खेल स्थलों सहित सभी कार्यस्थलों पर लागू होता है। चाहे महिला वेतन पर कार्य कर रही हो या स्वयंसेवी रूप में, चाहे उसका कार्यस्थल कार्यालय हो या घरेलू वातावरण — सभी स्थान अधिनियम के दायरे में आते हैं। घरेलू सहायिकाएं भी इस कानून के अंतर्गत संरक्षित मानी जाती हैं।

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इस अवसर पर देहरादून एयरपोर्ट के कार्यकारी निदेशक दीपक चमोली ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा केवल संवैधानिक दायित्व नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि सभी संगठनों को चाहिए कि वे अपने-अपने संस्थानों में महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करें और जागरूकता के ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते रहें।


कार्यक्रम में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF), ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS), विभिन्न एयरलाइंस और अन्य हितधारक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर संयुक्त महाप्रबंधक (ऑपरेशंस) नितिन कादियाल, सहायक महाप्रबंधक (इलेक्ट्रिकल) ऋषिराज बागड़ी, कनिष्ठ अभियंता (एटीसी) शालिनी, सीआईएसएफ इंस्पेक्टर शालिनी गुप्ता, ललिता और कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।


यह जागरूकता कार्यक्रम न केवल कानूनी जानकारी देने का माध्यम बना, बल्कि कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस पहल के रूप में सामने आया। एयरपोर्ट प्रशासन ने आश्वस्त किया कि वे भविष्य में भी इस तरह के सत्रों का आयोजन कर कर्मचारियों को प्रशिक्षित और जागरूक करते रहेंगे, जिससे कार्यस्थल पर एक सकारात्मक, सुरक्षित और समानता आधारित संस्कृति को बढ़ावा मिल सके।

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