जन्माष्टमी पर साल 1835 वाला दुर्लभ योग, इन राशियों की चमकेगी किस्मत...
- ANH News
- 16 अग॰
- 3 मिनट पठन

आज पूरा देश भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएगा। अबकी बार 190 वर्षों के बाद ग्रहों का ठीक वैसा ही संयोग बना है जैसा साल 1835 में बना था। वर्ष 1835 में भी जन्माष्टमी 16 अगस्त को ही मनाई गई और अब 2025 में कृष्ण का जन्मोत्सव 16 अगस्त को ही मनाया जायेगा। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक अत्यंत दुर्लभ और ऐतिहासिक खगोलीय संयोग के साथ मनाया जाएगा।
इस बार जन्माष्टमी पर राजराजेश्वर योग, गजलक्ष्मी योग एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है। मंगल कन्या राशि में, चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में, गुरु मिथुन राशि में रहेंगे। जन्माष्टमी पर 190 जैसे संयोग में चंद्रमा, सूर्य, मंगल और गुरु भी 190 बाद एक जैसी स्थिति में होंगे। जिनका लाभ विशेषत: 5 राशियों को मिलेगा। ऐसे में 190 साल के बाद जन्माष्टमी पर गौरी योग, आदित्य योग, वेशी योग का संयोग बना था था।
ज्योतिषाचार्य डॉ. शिवशरण पाराशर के अनुसार, 190 वर्षों के बाद ऐसा पावन अवसर आ रहा है जब ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण गौरी योग, बुध आदित्य योग, वेशी योग, अमृत सिद्धि योग, गजलक्ष्मी योग तथा राजराजेश्वर योग एक साथ बन रहे हैं। इस शुभ संयोग ने इस बार की जन्माष्टमी को और भी दिव्य, फलदायी और आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली बना दिया है।
जन्माष्टमी की तिथि एवं ग्रहों की स्थिति
जन्माष्टमी तिथि: शुक्रवार, रात 11:49 बजे आरंभ होकर शनिवार, रात 9:34 बजे तक।
ग्रहों की स्थिति:
चंद्रमा – अपनी उच्च राशि वृषभ में
सूर्य – अपनी स्वराशि सिंह में
गुरु (बृहस्पति) – मिथुन राशि में
मंगल – कन्या राशि में
इस दुर्लभ ग्रह संयोग की अंतिम बार पुनरावृत्ति वर्ष 1835 में हुई थी। यानी पूरे 190 वर्षों के अंतराल के बाद अब एक बार फिर से ऐसा शुभ संयोग जन्माष्टमी पर बन रहा है, जब चारों ग्रहों की स्थिति एक समान है।
इन शुभ योगों का आध्यात्मिक और सांसारिक प्रभाव:
इन योगों के प्रभाव से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को विशेष पुण्य लाभ, संतान सुख, वंश वृद्धि, पारिवारिक सुख-शांति, और मनोकामना पूर्ति का वरदान प्राप्त होगा। यह समय भक्ति, साधना और आत्मिक उत्थान के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा।
बटेश्वर मंदिर में भव्य आयोजन:
श्रीकृष्ण के ननिहाल स्थल शौरीपुर बटेश्वर में भी जन्माष्टमी का उत्सव विशेष श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। भक्तों के लिए विशेष पूजा-अर्चना, झांकियाँ और रात्रिकालीन आयोजन किए जा रहे हैं।
राशि अनुसार लड्डू गोपाल को अर्पित करें विशेष भोग:
ज्योतिषाचार्य डॉ. शिवशरण पाराशर ने बताया कि यदि भक्त अपनी राशि अनुसार लड्डू गोपाल को भोग अर्पित करें तो उन्हें विशेष पुण्य और श्रीकृष्ण कृपा की प्राप्ति होती है। नीचे राशि के अनुसार भोग सामग्री दी जा रही है:
राशि भोग सामग्री
मेष सेब
वृषभ माखन
मिथुन फल
कर्क माखन
सिंह दूध
कन्या पेड़ा
तुला केला
वृश्चिक अनार
धनु अंगूर
मकर मेवा
कुंभ उड़द की दाल
मीन अन्नानास
यह भोग न केवल भक्ति को समर्पण की भावना से जोड़ता है, बल्कि ग्रहों की कृपा को भी आकर्षित करता है।
इस वर्ष की जन्माष्टमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि एक दुर्लभ खगोलीय अवसर भी है, जो जीवन में शुभता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह करता है। ऐसे में प्रत्येक श्रद्धालु को चाहिए कि वे पूर्ण आस्था, विधिपूर्वक व्रत रखकर श्रीकृष्ण की पूजा करें और इस 190 वर्षों बाद आए योग का अधिकतम लाभ प्राप्त करें।





