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पत्रकार की मौत हत्या नहीं, बल्कि एक सड़क हादसा, पुलिस ने बताई वजह

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 4 अक्टू॰
  • 3 मिनट पठन
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उत्तरकाशी जिले में पत्रकार राजीव प्रताप की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर पुलिस ने गुरुवार शाम एक अहम खुलासा किया। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस का कहना है कि यह मामला हत्या का नहीं, बल्कि एक सड़क दुर्घटना का प्रतीत होता है। पुलिस द्वारा अब तक जुटाए गए साक्ष्यों, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों से हुई पूछताछ के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि राजीव की मौत एक सामान्य सड़क हादसे का परिणाम थी, न कि किसी आपराधिक साजिश की देन।


गुरुवार शाम उत्तरकाशी के पुलिस उपाधीक्षक जनक पंवार ने पत्रकारों को मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस घटना की जांच कई स्तरों पर की गई है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विभिन्न स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज ने निभाई। उन्होंने कहा कि अभी जांच के कुछ पहलुओं पर और भी काम किया जा रहा है, लेकिन अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे यह स्पष्ट होता है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क हादसा था।


घटना 18 सितंबर की शाम की है। करीब शाम सात बजे राजीव प्रताप अपने साथी मनबीर, जो कि कैमरामैन के रूप में काम करता है, के साथ उत्तरकाशी पुलिस लाइन में तैनात मुख्य आरक्षी सोबन सिंह से मिलने पहुंचे। तीनों ने साथ में पार्टी करने की योजना बनाई। इसके बाद वे एक गाड़ी में सवार होकर खाने-पीने का सामान लेकर दरबार बैंड के सामने टैक्सी स्टैंड के पास बैठ गए।


रात लगभग 10 बजे के बाद जब सोबन सिंह घर लौटने के लिए गाड़ी स्टार्ट करने लगे, तो राजीव ने उन्हें कुछ देर और रुकने को कहा। इसके बाद राजीव और सोबन सिंह बाजार की ओर रवाना हुए और एक होटल में जाकर भोजन किया। बस अड्डे में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से यह पुष्टि हुई कि रात 11 बजे के करीब दोनों होटल से बाहर निकलते हैं। फुटेज में साफ देखा गया कि दोनों के कदम लड़खड़ा रहे थे, जिससे यह संदेह होता है कि उन्होंने शराब का सेवन किया था।


इसके बाद दोनों गाड़ी में बैठते हैं। कुछ ही देर बाद सोबन सिंह गाड़ी से उतर जाता है और राजीव ड्राइविंग सीट पर आ जाते हैं। फुटेज में गाड़ी के अंदर केवल राजीव प्रताप ही दिखाई देते हैं। इसके बाद गाड़ी बद्री तिराहा, तेखला पुल, और अंतिम बार रात 11:38 बजे गंगोरी पुल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में दिखाई देती है, जहां से वह गंगोरी की दिशा में जाती हुई दिखती है।


गंगोरी पुल के आगे दो महत्वपूर्ण सीसीटीवी कैमरे- एक बैंक एटीएम और दूसरा पेट्रोल पंप पर लगे हैं, लेकिन इनमें राजीव की गाड़ी कहीं नजर नहीं आती। इससे पुलिस का अनुमान है कि गंगोरी की ओर बढ़ते समय, किसी मोड़ पर गाड़ी से नियंत्रण खो गया, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इस आशंका की पुष्टि करती है, जिसमें हादसे के चलते आई गंभीर चोटों का ज़िक्र है।


पुलिस ने यह भी बताया कि राजीव को कभी-कभार ही गाड़ी चलाने की आदत थी और घटना के समय वे नशे की हालत में थे। उनका लड़खड़ाते हुए चलना, रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना और अनुभवहीनता- ये सभी बातें इस ओर इशारा करती हैं कि यह एक दुर्घटनावश हुई मृत्यु थी।


इस पूरे मामले की विवेचना एसआई दिलमोहन बिष्ट के नेतृत्व में की जा रही है, जो अब भी मामले के कुछ पहलुओं की गहन जांच में जुटे हुए हैं, ताकि किसी भी संभावित संदेह को पूरी तरह से दूर किया जा सके।


यह घटना निश्चित रूप से पत्रकारिता जगत के लिए एक दुखद क्षण है, लेकिन पुलिस की अब तक की जांच से यह प्रतीत होता है कि यह एक सुनियोजित साजिश नहीं, बल्कि एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क हादसा था।

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