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कांवड़ यात्रा ने तोड़ा हर रिकॉर्ड: अबतक 3 करोड़ से ज्यादा शिवभक्त गंगाजल लेकर हुए रवाना

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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हरिद्वार की पुण्य भूमि से श्रावण मास में निकली आस्था की यह सबसे बड़ी यात्रा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। बाबा भोलेनाथ के जयकारों से गूंजते कांवड़ मेले में अब तक 3 करोड़ 56 लाख 90 हजार से अधिक शिवभक्त गंगाजल लेकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो चुके हैं। केवल बीते 24 घंटे में 55 लाख श्रद्धालुओं ने गंगाजल भरकर यात्रा शुरू की, जिसने प्रशासन और स्थानीय व्यवस्था के लिए एक नई चुनौती भी खड़ी की।


हरिद्वार के हर की पैड़ी, भीमगोडा और सुभाष घाट जैसे प्रमुख गंगा घाट श्रद्धालुओं से भरे रहे। जहां एक ओर श्रद्धालु ‘बोल बम’ के नारों के साथ शिव को जल अर्पित करने की तत्परता में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ व्यवस्था बनाए रखने में जुटा है।


कांवड़ यात्रा का सबसे कठिन चरण: डाक कांवड़ की अविश्वसनीय गति

जैसे-जैसे यात्रा अंतिम चरण में पहुंची है, वैसे-वैसे डाक कांवड़ यात्रियों की गति और संकल्प ने सभी को चकित कर दिया है। यह वह विशेष वर्ग होता है जिसमें श्रद्धालु गंगाजल भरते ही बिना रुके लगातार दौड़ते हुए अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं। श्रद्धा का ऐसा ज्वार इस बार देखने को मिला कि कुछ शिवभक्तों ने 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी कुछ ही घंटों में तय कर डाली।

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गाजियाबाद के कांवड़ यात्री आशीष और मोहित ने बताया कि उन्होंने सुबह 8 बजे हरकी पैड़ी से गंगाजल भरा और बिना रुके सीधे हिंडन तक दौड़ने का संकल्प लिया है। वहीं बागपत के श्रद्धालु छह घंटे में 180 किलोमीटर, और गाजियाबाद के कुछ युवकों ने सात घंटे में 195 किलोमीटर दूरी दौड़कर तय करने का दावा किया है।


“बाबा ने बुलाया है, उनकी सेवा में देर कैसी”, ये शब्द हैं मेरठ से आए अनुज शर्मा और कपिल त्यागी के, जो हर कदम को भगवान शिव को समर्पित मानते हैं। उनका कहना है कि थकान को उन्होंने कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया – यह सब भोलेनाथ की कृपा है।


जाम, उमस और स्वास्थ्य संकट में भी तत्परता का परिचय

श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के साथ जाम और गर्मी ने कई स्थानों पर समस्याएं भी खड़ी कीं। ऋषिकेश के श्यामपुर फाटक पर ट्रेन के कारण भारी जाम लग गया। ऐसे में स्थिति को संभालने खुद एसएसपी अजय सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने न केवल यातायात खुलवाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि एक बेहोश कांवड़ यात्री को खुद जाकर प्राथमिक उपचार दिलाया, और फिर उसे एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल भिजवाया।

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आस्था का सैलाब और अद्भुत प्रबंधन

10 जुलाई से शुरू हुई इस दिव्य यात्रा में 21 जुलाई तक कुल 3.56 करोड़ कांवड़ यात्री हरिद्वार से गंगाजल भरकर लौट चुके हैं। यह न सिर्फ आस्था की पराकाष्ठा है, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय समर्पण का अद्वितीय उदाहरण भी है। पुलिस, प्रशासन, सेवा दल और स्वयंसेवकों की निरंतर सेवा से यह विशाल आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो रहा है।


श्रद्धा की मिसाल: "हमारा समय भोलेनाथ तय करते हैं"

बागपत के टिकरी निवासी सुधीर कुमार ने बताया कि उनके पांच लोगों के जत्थे ने हरिद्वार से बागपत तक छह घंटे में पहुंचने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “भोलेनाथ की कृपा से हम निश्चित समय में पहुंचेंगे, लेकिन असली समय वही है जो बाबा तय करेंगे। हमारी भूमिका केवल सेवा और समर्पण की है।”

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