आपदाओं के बाद धीमी पड़ी यात्रा ने फिर पकड़ी रफ़्तार, केदारनाथ यात्रा में टूटा बीते साल का रिकॉर्ड
- ANH News
- 10 अक्टू॰
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चारधाम यात्रा, जो इस वर्ष मानसून की भीषण बारिश, बाढ़ और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते कुछ समय के लिए प्रभावित हुई थी, अब एक बार फिर पूरे उत्साह के साथ रफ्तार पकड़ चुकी है। खासकर केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या ने इस बार नया रिकॉर्ड बना दिया है।
बुधवार तक के आंकड़ों के अनुसार, बाबा केदार के दर्शन के लिए अब तक 16 लाख 56 हजार 539 तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं, जबकि मंदिर के कपाट बंद होने में अभी भी 14 दिन बाकी हैं। ये संख्या पिछले साल की कुल यात्रियों की संख्या को भी पीछे छोड़ चुकी है। वर्ष 2024 में पूरे यात्राकाल के दौरान केदारनाथ में 16 लाख 52 हजार 76 श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा पहले ही पार हो चुका है।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले इलाकों में बारिश जारी होने के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। बुधवार को ही 5614 यात्री केदारनाथ पहुंचे, जो इस तीर्थ की लोकप्रियता और लोगों की आस्था का प्रमाण है।
अब जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर, भैयादूज के दिन बंद होने जा रहे हैं, यह उम्मीद की जा रही है कि अंतिम दो हफ्तों में श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा होगा। केवल केदारनाथ ही नहीं, बल्कि बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रियों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और सुविधाओं के इंतज़ाम और मजबूत कर दिए हैं। संवेदनशील इलाकों में आईटीबीपी और पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। वहीं, भूस्खलन संभावित स्थानों पर जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं ताकि आपात स्थिति में मलबा तुरंत हटाया जा सके और यातायात बाधित न हो।
मौसम विभाग की ओर से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और बारिश का पूर्वानुमान जारी किया गया है। इसे देखते हुए प्रशासन लगातार श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की अपील कर रहा है। यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि खराब मौसम के दौरान यात्रा से बचें और सुरक्षित स्थानों पर ठहरें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि चारधाम यात्रा मार्गों पर हर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
चारधाम यात्रा का यह अंतिम चरण जहां श्रद्धा और आस्था से सराबोर है, वहीं प्रशासनिक सतर्कता और सुनियोजित प्रबंधन की मिसाल भी पेश कर रहा है।





