शीतला अष्टमी पर जानिए क्या दान करें और क्यों? 6 चीजे जिससे बदल सकता है भाग्य...
- ANH News
- 21 मार्च
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हिंदू धर्म में मां दुर्गा के अनेक रूपों का अत्यधिक महत्व है, जिनमें से एक रूप माता शीतला का भी है। मां शीतला को शीतलता देने वाली देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को चर्म रोगों से रक्षा करती हैं। शीतला अष्टमी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह ऋतु परिवर्तन का संकेत देता है और साथ ही भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन बासी भोजन करना एक परंपरा है, जो विशेष रूप से शीतलता और स्वच्छता के प्रतीक मानी जाती है।
शीतला अष्टमी के दिन कुछ विशेष चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। उज्जैन के प्रसिद्ध आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस दिन यदि कुछ खास वस्तुओं का दान किया जाए, तो माता शीतला अत्यंत प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। आइए जानते हैं कि इस पावन दिन किस चीज का दान करना शुभ रहेगा।
शीतला अष्टमी पर किए जाने वाले दान
झाड़ू का दान:
शीतला अष्टमी के दिन झाड़ू का दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। आप इस दिन किसी मंदिर, गुरुद्वारा या सार्वजनिक स्थान पर झाड़ू दान कर सकते हैं। यह दान घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और घर में बरकत आने का कारण बनता है। साथ ही यह घर की सफाई और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
शजल का दान (जलदान):
माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए शजल (पानी) का दान करना पुण्यदायी माना गया है। इस दिन किसी प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाने से या पानी की किसी सेवा करने से जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है। पानी का दान शीतलता और जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
अनाज का दान:
शीतला अष्टमी के दिन अनाज का दान करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है। इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज का दान करने से आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी और आपकी गृहस्थी समृद्धि से भरी रहेगी। यह दान समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
वस्त्र का दान:
इस दिन माता रानी को प्रसन्न करने के लिए वस्त्र का दान भी अत्यधिक शुभ माना जाता है। आप इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को कपड़े दान कर सकते हैं। इस दान से आपको माता शीतला का आशीर्वाद मिलेगा और आपके घर में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होगी। यह दान सामाजिक दायित्व और मानवता के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
सूप का दान:
शीतला अष्टमी के दिन सूप का दान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को सूप दान करने से माता शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और आपके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। सूप का दान विशेष रूप से समृद्धि और संपन्नता के लिए किया जाता है।
पंचांग अनुसार तिथि का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष शीतला अष्टमी 22 मार्च को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी और 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा, जो विशेष रूप से भक्तों के लिए कल्याणकारी होता है।
शीतला अष्टमी का पर्व न केवल शीतलता और स्वास्थ्य का प्रतीक है, बल्कि यह एक अत्यंत शुभ और पुण्यकारी अवसर भी है, जब भक्तों को दान करने का महत्व समझाया जाता है। इस दिन किए गए दान से ना केवल धार्मिक पुण्य मिलता है, बल्कि जीवन में समृद्धि, शांति और खुशहाली भी आती है। अतः इस पावन पर्व को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं और माता शीतला की कृपा प्राप्त करें।





