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श्वास है जीवन का सार, करें फेफड़ों का सत्कार, विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती का संदेश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस पर विशेष संदेश

स्वामी चिदानंद सरस्वती, अध्यक्ष – परमार्थ निकेतन


“फेफड़े हमारे जीवन का आधार हैं, और श्वास वह पुल है जो जीवन को अस्तित्व से जोड़ता है।”


आज, जब हम विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस मना रहे हैं, यह अवसर हमें स्मरण कराता है कि जीवन की सबसे अनिवार्य क्रिया – सांस लेना – कितनी मूल्यवान और संवेदनशील है। हम बिना भोजन कई दिन और बिना जल कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं, परंतु बिना श्वास के जीवन केवल कुछ ही मिनटों का मेहमान बनकर रह जाता है। यह श्वास ही है जो हमें क्षण-प्रतिक्षण जीवन से जोड़े रखती है।


लेकिन दुखद सच्चाई यह है कि यही हवा, जो हमें जीवन प्रदान करती है, आज प्रदूषण के कारण विषैली बन चुकी है। और इस जहरीली हवा का सबसे पहला और सीधा असर हमारे फेफड़ों पर ही पड़ता है। वायु प्रदूषण आज एक मौन हत्यारा बन गया है, जो धीरे-धीरे लाखों जीवनों को निगल रहा है — विशेषकर हमारे शहरी क्षेत्रों में।


फेफड़ों की रक्षा किसी बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन की मांग नहीं करती। यह उन छोटे-छोटे लेकिन प्रभावशाली संकल्पों की अपेक्षा करती है, जो हम सब अपने जीवन में कर सकते हैं:


-पैदल चलना या साइकिल का अधिक उपयोग


-अनावश्यक वाहन उपयोग से बचना


-अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना


-प्लास्टिक और प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थों से दूरी बनाना


-घर और कार्यस्थल पर वायु शोधक पौधों को अपनाना


-स्वच्छ वायु के लिए जनजागरण अभियान में भाग लेना


हमें यह समझना होगा कि पर्यावरण की रक्षा केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि हमारे अपने अस्तित्व की सुरक्षा है। जितना अधिक हम प्रकृति को संरक्षित करेंगे, उतना ही हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहेगा। विशेषकर हमारे फेफड़े, जिनकी रक्षा सीधे हमारे हर श्वास से जुड़ी है।


आइए, इस दिवस पर हम सब यह प्रण लें कि हम न केवल स्वच्छ हवा के लिए प्रयास करेंगे, बल्कि वृक्षारोपण के माध्यम से भविष्य की सांसों को भी सुरक्षित करेंगे। प्रत्येक लगाया गया पौधा, न केवल एक पेड़ होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आशा, एक सुरक्षा कवच, और एक श्वास की गारंटी होगा।

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