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‘महक क्रांति’ से उत्तराखंड के हजारों किसानों की बदलेगी किस्मत

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 24 सित॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 25 सित॰

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उत्तराखंड सरकार ने किसानों के लिए एक नई और महत्वाकांक्षी योजना 'महक क्रांति' की घोषणा की है, जिसे राज्य के कृषि विकास में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी देते हुए इसे प्रदेश के किसानों के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि का एक नया स्रोत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस योजना का उद्देश्य उत्तराखंड में सगंधित फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना और इसे अगले दस वर्षों में 100 करोड़ रुपये के वर्तमान टर्नओवर से बढ़ाकर करीब 1179 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। इस योजना के तहत किसानों को 80 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिससे खेती के साथ जुड़े नए अवसर सृजित होंगे और लगभग 91 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।


उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि महक क्रांति नीति की एक विस्तृत कार्ययोजना 2025 से 2047 तक लागू की जाएगी, जो प्रदेश के किसानों के लिए एक गेम चेंजर साबित होगी। योजना के पहले चरण में लगभग 22,750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इस नीति से न केवल रोजगार के नए द्वार खुलेंगे, बल्कि ग्रामीण इलाकों में पलायन की समस्या को भी कम करने में मदद मिलेगी। अनुमान है कि इस योजना के तहत 2.27 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित होगा, जो सीधे तौर पर किसानों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक होगा।


महक क्रांति योजना से सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के लगभग 500 प्रसंस्करण और आसवन संयंत्रों की स्थापना भी संभव होगी, जिससे उत्पादन के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार में उनकी पहुंच में भी वृद्धि होगी। इसके अलावा, योजना ग्लोबल कार्बन ट्रेडिंग के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ दिलाने का प्रयास करेगी। सगंधित फसलों की खेती से मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी, साथ ही मृदा क्षरण को भी रोका जा सकेगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।


इस योजना में शामिल होने के लिए किसानों, किसान समूहों, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों या कंपनियों के पास भूमि का स्वामित्व या कम से कम दस वर्षों तक कृषि कार्य करने का पट्टा होना आवश्यक है। साथ ही, किसानों के लिए न्यूनतम पांच नाली यानी लगभग 0.1 हेक्टेयर भूमि पर खेती करना अनिवार्य है। इस योजना के तहत 50 नाली या एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा, जिससे किसानों के लिए वित्तीय भार कम होगा और खेती को और अधिक लाभकारी बनाया जा सकेगा।


उत्तराखंड में औषधीय और सगंधित पौधों के उत्पादन को विशेष महत्व देते हुए राज्य सरकार ने कई वैली क्षेत्रों की पहचान की है। चमोली के जोशीमठ और अल्मोड़ा के ताकुला क्षेत्र में डैमस्क रोज वैली के रूप में लगभग 2000 हेक्टेयर, चंपावत, लोहाघाट, पाटी, नैनीताल के ओखलकांडा, भीमताल और कोटाबाग में दालचीनी वैली के रूप में 5200 हेक्टेयर, पिथौरागढ़ के मुन्यासी और बिण में तिमूर वैली के रूप में 5150 हेक्टेयर, हरिद्वार के विकास खंडों एवं पौड़ी के पोखड़ा, देहरादून के डोईवाला, सहसपुर, कालसी और रायपुर में लैमनग्रास वैली के रूप में 2400 हेक्टेयर तथा ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार के सभी विकासखंडों में मिंट वैली के रूप में 8000 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जाएगा।


इस योजना के माध्यम से उत्तराखंड सरकार किसानों की आय में वृद्धि करने, उनकी आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करने और प्रदेश की जैविक व प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। महक क्रांति न केवल किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगी, बल्कि यह उत्तराखंड को देश में सगंधित फसलों के उत्पादन और प्रसंस्करण का प्रमुख केंद्र बनाने में भी सहायक होगी। इससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे, जिससे प्रदेश के समग्र विकास को बल मिलेगा।

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