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शिव से सीधा आशीर्वाद चाहिए? श्रावण मास में करें ये 5 संकल्प, हो जाएगा जीवन का उद्धार

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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श्रावण मास हिंदू पंचांग का सबसे पवित्र और पुण्यदायी महीनों में से एक माना जाता है, जिसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है। यह महीना न केवल आध्यात्मिक साधना और आत्मिक जागृति का समय होता है, बल्कि शांति, भक्ति और तपस्या के अद्भुत संगम का प्रतीक भी है।


सावन में शिव पूजा, व्रत, जाप और अभिषेक विशेष फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि इस माह में श्रद्धा व नियमपूर्वक किए गए संकल्प न केवल मन की शुद्धि करते हैं, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ले जाते हैं।


आइए जानते हैं श्रावण मास में लिए जा सकने वाले 5 सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी संकल्प:


1. ब्रह्म मुहूर्त में जागने और साधना का संकल्प लें

श्रावण मास के पहले दिन से ही प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से लगभग 45 मिनट पूर्व) में उठें। स्नान आदि के बाद दाहिने हाथ में चावल और गंगाजल लेकर आंखें बंद करें, और भगवान शिव का ध्यान करते हुए किसी एक साधना, व्रत या सेवा का दृढ़ संकल्प लें।


इस दौरान "ॐ नमः शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र" का जप करें। भगवान शिव को उनका प्रिय भोग जैसे बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल आदि अर्पित करें। एक बार लिए गए संकल्प को पूरे माह अथवा यथाशक्ति पूरी निष्ठा से निभाएं।


2. प्रतिदिन प्राणायाम और योग करें

श्रावण में प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट प्राणायाम या सौम्य योगासन करने का संकल्प लें। इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।


विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में किया गया योग ध्यान और भक्ति की गहराई को बढ़ाता है और मानसिक संतुलन प्रदान करता है। इससे भीतर की ऊर्जा जागृत होती है।


3. नियमित ध्यान साधना करें

एक शांत, स्वच्छ स्थान चुनें और सीधी रीढ़ के साथ बैठकर आंखें बंद करें। गहरी श्वास लें और “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए अपने श्वास पर ध्यान केंद्रित करें।


आप चाहें तो 11, 21, 51 या 108 माला जाप कर सकते हैं। यह अभ्यास आत्मिक शांति के साथ-साथ ईश्वर से गहरे जुड़ाव की अनुभूति देता है।


4. सोमवार अथवा पूरे सावन मास उपवास रखें

उपवास केवल भोजन की सीमितता नहीं, बल्कि आत्मसंयम और शुद्धि का माध्यम है। आप प्रत्येक सोमवार को फलाहार व्रत रख सकते हैं — जैसे दूध, फल, और बिना अन्न के सात्विक आहार।


नवीन साधक केवल सोमवार को उपवास से शुरुआत करें, और यदि संभव हो तो पूरे सावन मास तक उपवास रखें। यह तप की भावना को जाग्रत करता है और शिव कृपा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।


5. शिवलिंग का अभिषेक करें

सावन में प्रतिदिन, या कम से कम हर सोमवार शिवलिंग पर अभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। यदि आपके घर में शिवलिंग है तो घर पर ही गंगाजल, दूध, शहद, दही, घी आदि से अभिषेक करें और मंत्रोच्चार करें।


बेलपत्र, आक, पुष्प, भस्म और भोग अर्पित करें। यदि संभव हो तो ब्रह्म मुहूर्त में रुद्राभिषेक करना सबसे उत्तम माना जाता है।


सावन के सोमवार का विशेष महत्व

श्रावण मास में पड़ने वाले सभी सोमवार अत्यंत पावन और शुभ माने जाते हैं। इस बार सावन में चार विशेष सोमवार आएंगे, जिनका आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से गहरा महत्व है।


मान्यता है कि सावन के सोमवार को भगवान शिव अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस दिन किए गए व्रत, जाप और अभिषेक से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


विशेष रूप से:


कुंवारी कन्याएं उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत करती हैं।


विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए उपवास करती हैं।


यह दिन मोक्ष, मानसिक शांति और इच्छापूर्ति का द्वार माना गया है।


श्रावण मास केवल व्रत और परंपराओं का समय नहीं, बल्कि स्वयं को भीतर से शुद्ध करने और भगवान शिव के प्रति भक्ति को गहराई देने का अनुपम अवसर है। इन 5 संकल्पों को अपनाकर हम न केवल आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।

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