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भारतीय संगीत की आत्मा से रूबरू हुए छात्र, निर्मल आश्रम में मालविका चोपड़ा की अद्भुत प्रस्तुति

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 जुल॰
  • 1 मिनट पठन
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध सितार वादक और गायिका मालविका चोपड़ा ने अपने सुरों और भावनाओं से सजी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत राग यमन की शांति और माधुर्य से हुई, जिसके सुरों ने पूरे सभागार को जैसे एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। मालविका चोपड़ा की उंगलियों से झरते सितार के तारों ने जब राग रेशमांलिका का रूप लिया, तो उपस्थित शिक्षक, छात्र और संगीत प्रेमी भावविभोर हो उठे।


लेकिन इस समारोह की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि यह केवल एक प्रस्तुति मात्र नहीं था, बल्कि एक शिक्षण अनुभव भी था। मालविका चोपड़ा ने अपने प्रदर्शन के दौरान छात्रों से संवाद करते हुए उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत की जटिलताओं और सौंदर्यशास्त्र की गहराई से जानकारी दी। उन्होंने राग, ताल, लय, आलाप, तान और भाव की अवधारणाओं को उदाहरणों सहित समझाया और बताया कि किस प्रकार संगीत केवल कला नहीं, बल्कि आत्मा का स्पर्श भी है।


छात्रों ने न केवल संगीत का रसास्वादन किया, बल्कि शास्त्रीय संगीत की गहन तकनीकी जानकारी और भाव की व्याख्या से समृद्ध भी हुए। कुछ छात्रों ने बाद में साझा किया कि यह अनुभव उनके लिए किसी ‘जीवंत संगीत गुरुकुल’ से कम नहीं था।


कार्यक्रम के अंत में संस्थान की ओर से मालविका चोपड़ा को सम्मानित किया गया और धन्यवाद ज्ञापित किया गया कि उन्होंने बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर दिया। विद्यालय प्रशासन ने भी भविष्य में इस प्रकार के और आयोजन करने की इच्छा जताई, जिससे छात्र केवल शैक्षणिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध हो सकें।

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