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2 अक्टूबर को खादी खरीदें, गर्व से कहें 'ये स्वदेशी है': मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 सित॰
  • 2 मिनट पठन
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। कार्यक्रम में उन्होंने देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना से जुड़े विभिन्न पहलुओं को साझा करते हुए जनमानस से संवाद स्थापित किया।


उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत नवरात्रि के पावन अवसर पर नारी शक्ति को नमन करते हुए की। प्रधानमंत्री ने कहा कि नवरात्रि शक्ति की उपासना का पर्व है और यह समय नारी शक्ति के सम्मान और उत्सव का प्रतीक है। उन्होंने गर्वपूर्वक कहा कि भारत की बेटियां आज हर क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रही हैं – फिर चाहे वह व्यापार हो, खेल, शिक्षा, विज्ञान या समाज सेवा। वे उन क्षेत्रों में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं, जिनकी कभी केवल कल्पना ही की जा सकती थी।


प्रधानमंत्री ने आगामी गांधी जयंती का भी स्मरण किया और इस अवसर पर खादी और स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के जीवन का मूलमंत्र स्वदेशी और आत्मनिर्भरता था, और खादी उसमें एक प्रतीक बनकर उभरी थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में खादी की मांग और सम्मान में बड़ी वृद्धि हुई है, जो राष्ट्र की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे 2 अक्टूबर को खादी का कोई न कोई उत्पाद अवश्य खरीदें और गर्व से कहें – "ये स्वदेशी है।"


अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारतीय त्योहारों की सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए छठ महापर्व का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छठ पूजा भारतीय संस्कृति की विलक्षण पहचान है, जहां डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना की जाती है। यह पर्व अब एक वैश्विक उत्सव का रूप लेता जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार छठ को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के प्रयास कर रही है। यदि यह प्रयास सफल होता है, तो दुनिया भर में लोग छठ पूजा की दिव्यता और भव्यता से परिचित हो सकेंगे।


प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि लता दीदी का संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा से गहराई से जुड़ा रहा है। उनके गीतों ने जन-जन की भावनाओं को छुआ और विशेष रूप से उनके देशभक्ति गीतों ने राष्ट्र के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को जाग्रत किया। लता मंगेशकर की सादगी, उनकी सांगीतिक साधना और देश के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।


साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को भी नमन किया, जिनकी जयंती हाल ही में मनाई गई। उन्होंने भगत सिंह को युवाओं के लिए प्रेरणापुंज बताया और कहा कि उनके भीतर अद्वितीय साहस और संवेदनशीलता का संगम था। वे न सिर्फ क्रांतिकारी विचारों से ओत-प्रोत थे, बल्कि समाज की पीड़ा को भी समझते थे और हरसंभव सहायता के लिए तत्पर रहते थे।


प्रधानमंत्री का यह संबोधन न केवल समसामयिक पर्वों और राष्ट्रीय स्मृतियों से जुड़ा रहा, बल्कि इसमें भारतीय संस्कृति, आत्मनिर्भरता और युवा सशक्तिकरण के गहरे संदेश भी निहित थे। ‘मन की बात’ के इस संस्करण ने एक बार फिर राष्ट्रीय भावनाओं को सशक्त करते हुए जनमानस को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान किया।

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