मसूरी की सैर होगी महंगी, अब पर्यटकों को देना पड़ेगा 'डबल' टैक्स
- ANH News
- 28 अक्टू॰
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उत्तराखंड सरकार अब पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से ग्रीन सेस (Green Cess) लगाने की तैयारी कर रही है। इस नए नियम के अनुसार दिसंबर से राज्य में प्रवेश करने वाली बाहरी गाड़ियों से यह शुल्क वसूला जाएगा। हालांकि, राज्य के कुछ हिल स्टेशनों और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर यह नियम पहले से ही लागू है। मसूरी, नैनीताल और अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में पहले से ही पर्यावरण संरक्षण और ईको-टूरिज्म के नाम पर अतिरिक्त टैक्स वसूला जा रहा है। ऐसे में इन स्थलों पर आने वाले पर्यटक अब “दोहरा टैक्स” देने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
मसूरी में इसका असर विशेष रूप से देखा जा रहा है। राज्य की सीमा पर कारों से 80 रुपये, बसों से 140 रुपये और मालवाहक वाहनों से 250 रुपये शुल्क वसूला जाएगा। वहीं मसूरी शहर में प्रवेश से पहले पर्यटकों से इको-टूरिज्म टैक्स के रूप में कारों से 60 रुपये और बसों से 180 रुपये अतिरिक्त वसूले जाएंगे। यानी हिल स्टेशन पहुंचने तक पर्यटक को दो स्तर पर टैक्स का सामना करना पड़ेगा।
नैनीताल भी इस मामले में पीछे नहीं है। यहां पहले से ही पार्किंग और लेक ब्रिज टैक्स सैलानियों के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। अब ग्रीन सेस के लागू होने से नैनीताल और अन्य हिल स्टेशनों की यात्रा और महंगी हो जाएगी। राज्य सरकार का कहना है कि यह टैक्स पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है, लेकिन सैलानी और स्थानीय कारोबारी इसे अपने बजट पर अतिरिक्त बोझ मान रहे हैं।
नैनीताल घूमने आए पर्यटक रामपाल सिंह का कहना है कि पहले ही होटल, भोजन और पार्किंग के खर्च बहुत अधिक हैं, अब ग्रीन टैक्स से यात्रा और महंगी होगी। वर्तमान में नैनीताल शहर में प्रवेश शुल्क 300 रुपये और पार्किंग शुल्क 500 रुपये लिया जाता है। सीजन के दौरान चार दिन की यात्रा में कुल खर्च 30 से 40 हजार रुपये तक पहुंच सकता है।
नैनीताल के स्थानीय कारोबारी दिग्विजय बिष्ट का कहना है कि सरकार द्वारा पर्यावरण और पर्यटन स्थलों के लिए टैक्स लगाया जाना ठीक है, लेकिन इसके साथ-साथ पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। अन्यथा लोग सस्ते और सुविधाजनक पैकेज वाले अन्य पर्यटन स्थलों की ओर आकर्षित होंगे।
इस तरह, ग्रीन सेस का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और सड़क सुरक्षा तो है, लेकिन सैलानियों और स्थानीय कारोबारियों पर इसका असर भी महत्वपूर्ण होगा। पर्यटन के महंगे होने से राज्य में आने वाले पर्यटक संख्या पर असर पड़ सकता है, इसलिए संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा।





