नवरात्री के चौथे दिन भी मां कूष्मांडा की पूजा, कौन से दोष होते हैं दूर? कैसे करें उनकी आराधना, जानिए
- ANH News
- 25 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 26 सित॰

शारदीय नवरात्रि शक्ति की उपासना का परम पावन पर्व माना जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा ही ब्रह्मांड की सृष्टिकर्त्री हैं। इनके स्मरण मात्र से साधक को बल, बुद्धि, आरोग्य और यश की प्राप्ति होती है।
मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी के रूप में जाना जाता है। उनके दाहिने हाथों में कमल, धनुष, बाण और कमंडल होता है, वहीं बाएं हाथों में गदा, चक्र और जपमाला सुशोभित होते हैं। देवी की यह रूप अत्यंत तेजस्वी, ऊर्जा और सृजन की प्रतीक मानी जाती हैं।
इस वर्ष तिथि गणना के अनुसार चतुर्थी दो दिनों तक पड़ रही है, इसलिए मां कूष्मांडा की पूजा 25 और 26 सितंबर दोनों दिन करना फलदायी माना जा रहा है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
मां की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। पूजा घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़काव करने के बाद देवी का आवाहन करें।
फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, वस्त्र और मिष्ठान अर्पित करें। विशेष रूप से पीले रंग की मिठाई जैसे बेसन के लड्डू, मोतीचूर या बूंदी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती, अर्गला स्तोत्र या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
चौथे दिन का शुभ रंग
देवी कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। अतः इस दिन पीले वस्त्र धारण करना, पूजा में पीले फूल, फल और मिठाइयों का प्रयोग करना विशेष शुभ माना जाता है। इससे देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक को जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
मां कूष्मांडा के मंत्र
देवी की पूजा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व है। मां कूष्मांडा की आराधना करते समय निम्नलिखित मंत्रों का जप किया जा सकता है:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
कूष्मांडा ऐं ह्रीं देव्यै नमः
श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया यह जप साधक के जीवन में सकारात्मकता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।
मां की कृपा से क्या मिलता है?
मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा से साधक के समस्त कष्ट समाप्त होते हैं। जीवन में रोग, शोक, दरिद्रता और भय दूर होता है। साधक को दीर्घायु, आरोग्य, तेज और पराक्रम की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से जो लोग मानसिक अशांति, असमर्थता या थकान महसूस करते हैं, उनके लिए मां कूष्मांडा की उपासना अत्यंत लाभकारी होती है।
नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं एवं लोक परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य जनसामान्य को जागरूक करना है। पाठक अपने विवेक से काम लें।





