नवरात्रि 2025 में अष्टमी तिथि की उलझन खत्म! जानिए सही दिन और पूजा विधि
- ANH News
- 24 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 25 सित॰

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि को लेकर विशेष भ्रम देखने को मिल रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार नवरात्रि में एक दिन की वृद्धि हुई है, जिससे तिथियों का सामान्य क्रम प्रभावित हुआ है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस साल नवरात्रि की चतुर्थी तिथि 25 और 26 सितंबर दोनों दिन अस्तित्व में रहेगी, जिसके कारण नवरात्रि की अष्टमी 29 सितंबर की बजाय 30 सितंबर को मनाई जाएगी। अब आइए विस्तार से जानते हैं नवरात्रि अष्टमी का शुभ मुहूर्त और इस पावन दिन की पूजा विधि।
नवरात्रि अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार है: अष्टमी तिथि 29 सितंबर शाम 4:31 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 30 सितंबर शाम 6:06 बजे तक जारी रहेगी। इस दिन मंगलवार का दिन है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
महाअष्टमी का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की विशेष उपासना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उनका रंग काला हो गया था। शिवजी की प्रसन्नता से माता को पवित्र गंगा जल से स्नान कराया गया, जिससे उनका रंग गोरा हो गया और तब से माता को ‘महागौरी’ के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन अष्टमी व्रत रखता है, उसे सौभाग्य, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महा अष्टमी के दिन पूजा की विधि भी विशेष होती है। सबसे पहले स्नान करके मां दुर्गा के षोडशोपचार पूजा का विधान है, जिसमें देवी के नौ रूपों की भी पूजा होती है। पूजा स्थल पर मिट्टी के नौ कलश स्थापित कर देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान और आह्वान किया जाता है। अष्टमी के दिन कुलदेवी के साथ-साथ मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी विशेष आराधना की जाती है।
इस दिन माता महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है, परन्तु नारियल का सेवन निषेध माना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि नारियल खाने से बुद्धि नष्ट हो सकती है। महागौरी माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी हैं, अतः इस दिन कन्या भोज का आयोजन किया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रसाद स्वरूप खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, पूरणपोळी, केले, नारियल, मिष्ठान्न, घेवर, घी-शहद और तिल-गुड़ अर्पित किया जाता है।
जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं, वे सप्तमी को व्रत धारण करके अष्टमी को कन्या पूजन के बाद उपवास खोलते हैं। पूजा के पश्चात हवन का आयोजन भी किया जाता है और नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनकी सेवा की जाती है। इस दिन भजन, कीर्तन और नृत्य आदि से उत्सव मनाना भी शुभ माना जाता है। साथ ही हलुआ और अन्य प्रसाद वितरित कर सभी को भोजन कराया जाता है।
अष्टमी के इस पावन अवसर पर श्रद्धालु माता महागौरी की कृपा से अपने जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मन से प्रार्थना करते हैं। इस दिन की पूजा विधि का सही पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी संकट दूर होते हैं।
इस प्रकार, नवरात्रि 2025 की महाअष्टमी 30 सितंबर को है और इस दिन की पूजा विधि एवं महत्व को समझकर श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगर आप भी इस वर्ष नवरात्रि अष्टमी का व्रत रख रहे हैं तो समय का विशेष ध्यान रखें और सही तिथि पर पूजा-अर्चना अवश्य करें।





