नवरात्रि 2025: महाअष्टमी और महानवमी पर ऐसे करें कन्या पूजन और हवन, जानें शुभ मुहूर्त
- ANH News
- 23 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 24 सित॰

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर 2025, रविवार से आरंभ हो चुका है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की भक्ति, व्रत, उपवास, साधना और शुभता से भरे इस पर्व का समापन 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को होगा। इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों की है, जिसे विशेष शुभ और फलदायी माना गया है।
नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। ये दिन मां दुर्गा के पूजन, कन्या भोज और हवन जैसे शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। अष्टमी को "महाअष्टमी" और नवमी को "महानवमी" कहा जाता है।
इस वर्ष पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 29 सितंबर को दोपहर 4:31 बजे शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी। इसलिए महाअष्टमी मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर संसार से अधर्म का अंत किया था।
वहीं नवमी तिथि, जो नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को पड़ेगी। इस दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। नवमी के दिन ही भक्त व्रत का पारण करते हैं और कन्या पूजन व हवन के साथ नवरात्रि को पूर्ण करते हैं।
कन्या पूजन का महत्व और विधि
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन एक अत्यंत पवित्र और आवश्यक अनुष्ठान माना गया है। मान्यता है कि मां दुर्गा कन्याओं के रूप में स्वयं पधारती हैं। इसलिए अष्टमी या नवमी के दिन 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
पूजन के दिन सुबह सर्वप्रथम मां महागौरी (अष्टमी को) या मां सिद्धिदात्री (नवमी को) की श्रद्धापूर्वक पूजा करें। उन्हें हलवा, चना और पूरी का भोग अर्पित करें। इसके पश्चात कन्याओं को आमंत्रित कर उनका आतिथ्य सम्मानपूर्वक करें। साथ में एक बालक को भी बुलाएं, जिसे लंगूर कहा जाता है, जो भगवान भैरव का प्रतीक होता है।
सभी कन्याओं और लंगूर के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं, उनके मस्तक पर तिलक करें और पूजा करें। फिर उन्हें हलवा-पूरी और चने का भोग कराएं। अंत में उन्हें वस्त्र, दक्षिणा या उपहार भेंट कर विदा करें। यह क्रिया केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि कन्याओं के रूप में शक्ति के प्रति सम्मान प्रकट करने का माध्यम है।
इस वर्ष कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त निम्न प्रकार हैं:
महाअष्टमी पर: 30 सितंबर को शाम 4:31 बजे से 6:06 बजे तक
महानवमी पर: 1 अक्टूबर को शाम 6:06 बजे से 7:01 बजे तक
हवन विधि और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि व्रत का पारण हवन के बिना अधूरा माना जाता है। यह अनुष्ठान वातावरण को पवित्र करने के साथ-साथ आत्मिक शांति और देवी कृपा प्राप्त करने का मार्ग भी है।
हवन से पहले स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें। हवन कुंड में आम, पीपल या गूलर की लकड़ी का प्रयोग करें। गाय के घी, जौ, तिल, गुग्गुल, लोबान, कपूर आदि सामग्री से मां दुर्गा के 108 नामों या “दुर्गा सप्तशती” के मंत्रों के साथ आहुति दें।
इस वर्ष हवन के लिए शुभ ब्रह्म मुहूर्त इस प्रकार है:
महाअष्टमी के दिन: 30 सितंबर को सुबह 4:37 बजे से 5:25 बजे तक
महानवमी के दिन: 1 अक्टूबर को सुबह 4:37 बजे से 5:26 बजे तक
हवन के बाद माता रानी की आरती करें और कन्या पूजन के साथ व्रत का विधिवत पारण करें।





