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बॉर्डर पर थोड़ी ढ़िलाई और जगी नेपाली नागरिकों की उम्मीद, सीमा पर लगा दी लंबी लाइन

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 12 सित॰

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नेपाल में भयंकर हिंसा और आगजनी की घटनाओं का असर सीमापार भारत पर भी गहराई से महसूस किया जा रहा है। नेपाल में जारी बंद और विद्रोह के बीच, भारतीय सीमावर्ती बाजार नेपाली नागरिकों के लिए राहत का प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं। गुरुवार को सीमाओं पर थोड़ी ढील मिलने के बाद बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक अपने आवश्यक सामानों की खरीदारी के लिए भारत की ओर रुख करने लगे। विशेष रूप से पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और झूलाघाट में स्थित झूला पुलों पर भारी भीड़ और लंबी कतारें देखने को मिलीं, जहां नेपाली नागरिक भारत में प्रवेश के लिए प्रतीक्षा करते नजर आए।


नेपाल में बाजार बंद रहने के कारण वहां के लोग दवाइयों, राशन, सब्जियों समेत अन्य जरूरी वस्तुओं की पूर्ति में असमर्थ थे, जिसके चलते उन्होंने भारतीय बाजारों को अपना सहारा बनाया। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखते हुए सभी आने वाले नागरिकों की पहचान पत्रों की जांच की और उनकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज कराकर ही सीमा पार करने की अनुमति दी। इससे सीमा सुरक्षा के साथ-साथ आपूर्ति में पारदर्शिता भी बनी रही।


वहीं, चम्पावत जिले की बनबसा और टनकपुर सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी बनाए रखी गई, जहां नेपाल के नागरिकों को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। इसके कारण बनबसा बाजार में शांति और सन्नाटा देखा गया। हालांकि, नेपाल के महेंद्रनगर में कर्फ्यू में थोड़ी ढील मिलने से वहां के निवासियों को कुछ राहत मिली है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित भारतीय बाजारों पर निर्भरता को कम करने में सहायक साबित हो सकती है।


यह पूरी स्थिति दर्शाती है कि नेपाल में जारी अशांति का प्रत्यक्ष प्रभाव भारत के सीमावर्ती इलाकों पर भी पड़ रहा है, जहां स्थानीय बाजार नेपाली नागरिकों के लिए जीवनदायिनी भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, भारत की सीमाओं पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम और शिष्टाचार के साथ नियंत्रण व्यवस्था इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को समझते हुए लागू की जा रही है।

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