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माँ की गोद में सोता 3 माह का मासूम चोरी, 6 लाख में बेचा, पुलिस ने 72 घंटे में किया खुलासा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 16 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड और मेरठ पुलिस ने संयुक्त अभियान में एक बड़े मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो धार्मिक स्थलों से मासूम बच्चों को अगवा कर उन्हें निःसंतान दंपतियों को मोटी रकम में बेच देता था। यह मामला तब उजागर हुआ जब अमरोहा निवासी एक परिवार कलियर शरीफ स्थित दरगाह में जियारत के लिए आया था और वहां से उनका तीन माह का मासूम बेटा अबुजर रहस्यमय ढंग से गायब हो गया।


अबुजर के पिता जहीर अंसारी अपनी पत्नी शमा और बेटे के साथ साबरी गेस्ट हाउस के बाहर एक अस्थायी दुकान के पास सो रहे थे। अल सुबह करीब 3:40 बजे जब जहीर चाय लेकर लौटे तो पाया कि उनकी पत्नी के पास सोया बेटा गायब था। उन्होंने तुरंत कलियर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मौके के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, जिसमें बच्चे को एक स्कार्पियो में अगवा करते हुए देखा गया।


स्कार्पियो का पीछा करते हुए पुलिस मेरठ के लक्खीपुरा इलाके तक पहुंची, जहां स्थानीय पुलिस की मदद से तीन आरोपित – सलमा पत्नी राजा, शहनवाज और आशु लगड़ा – को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में तीनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने बच्चे को अगवा किया और उसे छह लाख रुपये में कंकरखेड़ा, मेरठ निवासी कारोबारी विशाल गुप्ता को बेच दिया।


इसके बाद पुलिस ने कंकरखेड़ा पुलिस के साथ मिलकर विशाल गुप्ता के घर छापेमारी की और बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। साथ ही विशाल गुप्ता को भी हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ में विशाल ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से उनके घर कोई संतान नहीं हुई थी और इसी वजह से वह इन लोगों के संपर्क में आया था। तीनों आरोपितों को छह-छह लाख रुपये में सौदा तय कर बच्चा सौंपा गया था। तीनों ने दो-दो लाख रुपये आपस में बांटे, जिसमें से सलमा ने अपनी हिस्सेदारी से एक स्कूटी खरीद ली, जबकि बाकी के पास से नकदी बरामद कर ली गई है।


कलियर थाना प्रभारी रविंद्र कुमार ने जानकारी दी कि सभी चारों आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और उन्हें कानूनी कार्रवाई के लिए रुड़की ले जाया गया है। पुलिस इस मामले में गहराई से जांच कर रही है और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।


यह घटना न केवल समाज के उस क्रूर चेहरे को उजागर करती है जहाँ मासूमों की बोली लगाई जाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह धार्मिक स्थलों को भी अपराधी अपने मुनाफे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस की तत्परता और संयुक्त कार्रवाई से एक मासूम को उसके माता-पिता से मिलाया जा सका, वरना यह मामला हमेशा के लिए रहस्य बन सकता था।

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