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UCC में बड़े बदलाव के साथ लिव-इन रिलेशन पर सख्ती, किन मामलों में मिलेगी छूट?

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 17 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत बनाए गए नियमों में लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों को और अधिक सख्त करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस संबंध में सरकार ने उच्च न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल कर स्पष्ट किया है कि यूसीसी नियमावली के प्रविधानों में संशोधन किया जा रहा है, ताकि लिव-इन जैसे संवेदनशील मामलों में स्पष्टता, पारदर्शिता और सामाजिक संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।


यूसीसी के मौजूदा नियमों के अनुसार, उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक जोड़े को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए सरकार ने एक विशेष पोर्टल की व्यवस्था की है, जहां संबंधित व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। पंजीकरण के समय साथी के नाम, उम्र, राष्ट्रीयता, धर्म, पूर्व वैवाहिक स्थिति और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियाँ देना अनिवार्य है। इसके अलावा, समान विवाह पंजीकरण के जैसे आधार कार्ड और अन्य पहचान से संबंधित दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होते हैं।


इस नियम का उद्देश्य केवल पंजीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे उत्पन्न सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों को भी कानूनी संरक्षण प्रदान करना है। विशेष रूप से लिव-इन संबंधों से जन्म लेने वाले बच्चों को संपत्ति का समान अधिकार प्राप्त होगा और उनका जन्म प्रमाणपत्र सात दिनों के भीतर पंजीकृत कराना आवश्यक होगा। यह व्यवस्था न सिर्फ बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाती है, बल्कि माता-पिता की जिम्मेदारियों को भी सुनिश्चित करती है।


यदि किसी कारणवश लिव-इन संबंध समाप्त होता है, तो इसका भी विधिवत पंजीकरण अनिवार्य है। रजिस्ट्रार को इसकी सूचना देना आवश्यक है और साथी को लिखित नोटिस के माध्यम से अवगत कराना होता है। यह प्रक्रिया अलगाव की स्थिति में दोनों पक्षों के अधिकारों और दायित्वों की स्पष्टता सुनिश्चित करती है।


एक और महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यदि कोई भागीदार 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके कानूनी अभिभावकों को इस संबंध की सूचना देना अनिवार्य होगा। यह नियम युवाओं की सुरक्षा और पारिवारिक संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है।


धार्मिक प्रमाण पत्र की आवश्यकता केवल विशेष परिस्थितियों में होती है, जैसे कि प्रतिषिद्ध रिश्तों में शामिल किसी संबंध को पंजीकृत कराने के मामलों में। सामान्य लिव-इन संबंध के पंजीकरण के लिए धार्मिक गुरु का प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है।


सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों के तहत, यदि कोई जोड़ा पंजीकरण कराने में विफल रहता है, तो उस पर तीन महीने तक की जेल और ₹10,000 तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस दंडात्मक व्यवस्था का उद्देश्य लोगों को कानून का पालन करने के लिए प्रेरित करना है, न कि संबंधों पर अंकुश लगाना।


उत्तराखंड में यूसीसी के क्रियान्वयन के साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर स्पष्ट और कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं, जो न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं बल्कि सामाजिक जवाबदेही, बच्चों के अधिकार और स्त्री-पुरुष दोनों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देते हैं। यह कदम राज्य को समान नागरिक कानून के क्षेत्र में एक मजबूत मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।

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