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देवी मां की अनुमति के बिना यहां कोई पुलिसवाला नहीं टिकता, जानिए रहस्यमयी मंदिर की अनोखी कहानी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 सित॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 22 सित॰

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शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व नजदीक है। नौ दिनों तक देशभर में देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाएगी। मंदिरों में भक्तों की कतारें, घंटियों की गूंज और ‘जय माता दी’ के नारों से वातावरण गूंज उठेगा। भारत में देवी मां के अनेक मंदिर हैं, जिनमें से हर एक की अपनी खास मान्यता, इतिहास और चमत्कारिक कहानियां जुड़ी हैं।


लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर की कथा सुनाने जा रहे हैं, वो ना केवल अपनी दिव्यता के लिए, बल्कि एक बेहद अनोखी पहचान के लिए भी प्रसिद्ध है। यह है मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित- चामुंडा माता का मंदिर, जिसे लोग श्रद्धा से "पुलिस वाली माता" के नाम से जानते हैं।


जब थाने की दीवार से प्रकट हुई देवी की मूर्ति:

इस मंदिर की कहानी उतनी ही रहस्यमय है, जितनी कि चमत्कारिक। कहा जाता है कि यहां पहले एक सैनिक छावनी हुआ करती थी, जिसे बाद में पुलिस थाने में परिवर्तित कर दिया गया। जब थाने को किसी कारणवश पास के सुठालिया इलाके में स्थानांतरित करने की योजना बनी, तो एक अविश्वसनीय घटना घटी।


थाने की एक दीवार से देवी चामुंडा की मूर्ति स्वयं प्रकट हो गई। बिना किसी छेड़छाड़ के, मूर्ति ऐसे प्रकट हुई मानो सदियों से वहां विराजमान हों। इस चमत्कारी प्रकट होने के बाद प्रशासन ने थाने को स्थानांतरित करने की योजना को रद्द कर दिया और उस स्थान को "मां चामुंडा का मंदिर" घोषित कर दिया।


आज भी मां की प्रतिमा थाने की उसी दीवार में स्थित है, और वहीं पर भक्त उनके दर्शन करते हैं।


जब पुलिस खुद बनी मंदिर की सेवक:

इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां की संपूर्ण व्यवस्था पुलिस विभाग ही संभालता है। मंदिर की देखरेख, साफ-सफाई, माता का श्रृंगार, पूजा-अर्चना, भंडारे की व्यवस्था- सब कुछ पुलिस विभाग के ही जिम्मे है।


यह शायद देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां किसी धार्मिक स्थल की पूर्ण ज़िम्मेदारी एक शासकीय विभाग द्वारा निभाई जाती है — वो भी आस्था से प्रेरित होकर।


यहां तक कि मंदिर से जुड़ी चमत्कारी घटना आज भी थाने के आधिकारिक दस्तावेजों में दर्ज है।


मंदिर से जुड़ी मान्यताएं जो करती हैं हैरान

-माता चामुंडा के इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं।

-कहा जाता है कि सुठालिया थाने में जब किसी पुलिसकर्मी की नई पोस्टिंग होती है, तो उसे सबसे पहले माता के मंदिर में 'आमद' देनी पड़ती है। यानी ड्यूटी की शुरुआत देवी को नमन करके ही की जाती है।

-मान्यता है कि जिस पुलिसकर्मी को मां की मंजूरी नहीं मिलती, वह यहां ज्यादा दिन टिक नहीं पाता — या तो उसका ट्रांसफर हो जाता है या सस्पेंशन का सामना करना पड़ता है।


इतना ही नहीं, अगर किसी पुलिसकर्मी को अपना ट्रांसफर रुकवाना होता है, तो वह भी मां के दरबार में अर्ज़ी लगाता है। और कई बार माता रानी की कृपा से उसकी मुराद भी पूरी होती है।


मां चामुंडा: आस्था और अनुशासन की अद्भुत मिसाल

यह मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही, लेकिन साथ ही यह अनुशासन, जिम्मेदारी और सेवा की भावना को भी दर्शाता है। पुलिस विभाग, जो आमतौर पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जाना जाता है, जब मां के सेवक बनते हैं, तो यह दृश्य श्रद्धा और समर्पण की एक अलौकिक मिसाल बन जाता है।


नवरात्रि में लगता है विशेष मेला:

शारदीय नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में विशेष आयोजन और भंडारे होते हैं। देवी का भव्य श्रृंगार, जागरण, और भक्तों की भीड़ से मंदिर प्रांगण पूरी तरह जीवंत हो उठता है। यहां आने वाला हर भक्त मां चामुंडा की कृपा से अपने जीवन में नई ऊर्जा और आशीर्वाद का अनुभव करता है।


समापन व संदेश:

"पुलिस वाली माता" का यह मंदिर इस बात का प्रमाण है कि जहां आस्था होती है, वहां चमत्कार भी होते हैं। एक साधारण दीवार से प्रकट हुई देवी ने उस स्थान को न केवल पवित्र बना दिया, बल्कि एक सरकारी तंत्र को भी धार्मिक सेवा से जोड़ दिया।

इस नवरात्रि, यदि आप मध्य प्रदेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो राजगढ़ का यह अनोखा मंदिर आपके दर्शन स्थलों में अवश्य होना चाहिए।

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